जैसा बोओगे वैसा पाओगे
*शीर्षक* - जैसा बोओगे वैसा पाओगे *********************** जैसा बोओगे वैसा पाओगे बबूल अगर बोओगे आम कहां से खाओगे धृतराष्ट्र बनोगे ? दुर्योधन दुशासन ही पाओगे कृष्ण कहां से लाओगे अर्जुन कैसे वन पाओगे पूतनायें भ्रमित करेंगी सूर्पनखायें जन्मेगी सीतायें छली जायेंगी देवकी कारागार पायेंगी दशानन दर्प करेंगे कैसे कंसों से प्राण बचेंगे मासूम हंसी किलकारी को वो रोंदेंगे हम यदि सुशिक्षा संस्कार नहीं भरेंगे जो इंटरनेट की खाद पायेंगे पश्चिम की कुत्सित हवा खायेंगे मां की ममता अंधी होगी तो संतानें क्यों नहीं गंदी होंगी अधिकारों की मांगें प्रलयंकारी होंगी अवश्य ही तब कर्तव्यों की आहुतियां होंगी लक्ष्य जब भोग विलास अरु धन होगा मन विचार चरित्र तब कैसे उज्जवल होगा कानून वना दो कितने भी सरकारें जोर ल...