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प्रेम कहानी रिश्तें बदलतें हैं...

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     बारिश के थे चारो ओंर मन चाहॉ वातावरण यंव स्थितीयॉ थी, दिल को लुभाने की बाते भी हो रही थी |इस स्थिती मे काले बादलो की हल्की सी मुस्कान और वह हवा झोका मन का उत्साह बढांने मे मदद करता रहॉ |मिनट- दर मिनट ऐसा समय भी कटता हुऑ नजर आ रहॉ था, इसी समय नैन अपनी एक लौती जग से निराली, खुद से बेगानी दिल की धडकन ऐसी सहेली को मिलने के लिए उत्साह भरे मन से आमंञण देता है | तो वा भी झट से आमंञण स्विकार करती है और बताई हुऐ जगह पर नैन से पहले आकर नैन का इंन्तजार करती हुई बैठी थी | और काले बादलो की ओंर देखकर उसकी हँसी और पागल सी हवा उसके बाल पकडकर झुला -झुल रही थी | ऐसे स्थिती मे वे नैन के आने का इंन्तजार कर रही थी और प्रकृती के सौदर्य मे मंञ मुक्त होकर वह पंछियों के गीत सुनने लगी थी |        तभी नैन आता है और कहता है| ," कहॉ खोऐ हों आप  क्या किसीका इंन्तजार हैं आपको | "  नैन की ऐसे बाते सुनकर श्रध्दा ने अपनी ऑखे बिल्ली की तरहॉ टटोलकर कहॉ, " हॉ... आपका ही इंन्तजार था ,पर लगता है कि आपको आने मे देर हो गयी ,इसीलिए मै इन हँसीन  बादलो को देखकर  मै कहॉ...

हिंदी प्रेम कविता

क्या...याद है तुम्हे मेरे खयाल से पता नही पर लगता तो है कि याद होगा तुम्हे    आज से दो साल पहले   इसी दिन मिलेते हम  दिवार के पास यशवंत कॉलेज मे यह तो...याद होगा तुम्हे   लगता तो है कुछ खास नही   पर छेड दी थी,हमने ही बात शायद तुमने भी मौन रख कर दिया था जबाब यह पक्का याद है मुझे      फिर कुछ दिन चुप करहकर     हुऑ था धिरे धिर बातो का    सिल सिला शुरु   लगता है यह तो याद होगा ही तुम्हे फिर मिलना जुलना दिल खोलकर बाते करना कभी कभी तेरा रुठ जाना और मेरा पंक्तीयॉ लिखकर तुम्हे मनाना     क्या यह सब याद है तुम्हे         

भाषा मे वर्तनी का महत्व

भाषा मे वर्तनी का महत्व बहूत माना जाता है जैसे सब्जी मे नमक का होता है घर मे मॉ और श्रंगार बिंदी का महत्व होता है     वैसे ही लेखन मे     लेखन मे वर्तनी का    महत्व होता है इसके बिना शब्द अर्थ हिन होते भाषा का सौदर्य निकल जाता         ध्यान दो वर्तनी पर         तो उच्चारण में और         लेखन मे होगा सुधार. ..

बारिश कें दिनो मे...कविता

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बारिश कें दिनो मे गाती चिडियॉ  कवि मारोती गंगासागरे नाचते मोर देखकर हरी- हरियाली हम भी मचाते शोर           बारिश कें दिनो मे           लहराती हुई फसलें           देखकर जाग उठे           किसानों के सपने          हम ही है शामिल अपने सपनों मे बारिश कें दिनो मे धूम मचाती नदी उसमे है मछलियों कि छवि कभी यहॉ तो कभी वहॉ दिखाती अचानक कहॉ गायप हो जाती             बारिश कें दिनो में             सारा जहॉ भी हैं मस्ती मे             देखकर सबकी हँसी             जाग उठी यह सोई धरती             बारिश कें दिनो में....

बारिश पर कविता

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मैं बारिश के संग झूमने आयी हूँ.. मैं बारिश के संग झूमने आयी हूँ.. बारिश के संग हवा भीझुमने लगी है मेरे कानों मे आके बन गया क्या मेरा दिवाना कहेने लगी है     बारिश के संग हवा भी झूमने लगी है मस्ती मै आके मूझे कहने लगी है क्यों उदास है, तू कहे तो मनाउ क्या उसे तेरे दिल का हाल मे रे मूह से बताऊ मै बारिश के संग झूमने आयी हूँ यूही जाते जाते उसे बताके जाती हूँ तू चिंता न कर   ऐ बारिश उसे भिगोएगी और मै उसके तन-मन को बहेकाउँगी   जाते जाते तेरा यह काम करके   जाती हूँ मै बारिश के संग झूमने आयी हूँ  उसे बारिश के संग हवा भी झुमने लगी है मेरे कानों मे आके बन गया क्या मेरा दिवाना कहेने लगी है     बारिश के संग हवा भी झूमने लगी है मस्ती मै आके मूझे कहने लगी है क्यों उदास है, तू कहे तो मनाऊँ क्या उसे तेरे दिल का हाल मेरे मूह से बताऊ क्या उसे मै बारिश के संग झूमने आयी हूँ यूही जाते - जाते उसे बताके जाती हूँ तू चिंता न कर   ऐ बारिश उसे भिगोएगी और मै उसके तन-मन को बहेकाउँगी   जाते-जाते तेरा यह काम करके   जाती हूँ... मै...

Love poem monwart

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मारोती गंगासागरे    कोई तो बात होगी तभी रखा है तुमने मौन व्रत      यूही ऐसे कभी नही रखती      किस खुशी मे रखा है       तुमने यह मौन व्रत क्या मुझे बता पाओगी पता है व्रत टूट जाएगा तो इशारो मे समझाओगी क्यों रखा है तुमने मौन व्रत        क्या बता पाओगी         मै भी यह मौन व्रत रखू क्या ?        तुम्हारे खुशी मे शामिल होने के लिए       तुम्हारे नि:शब्द कथनो मे       मेरे शब्द कथित करने के लिए       मै भी रखू क्या मौन व्रत...

Love story paheli bar

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      पहेली बार, लेखन मारोती गंगासागरे                              मेरे जिंदगी के विस साल बित चूँके है | मै नांदेड शहर के सबसे बड़े यशवंत महाविद्यालय मे बी ए  lll year     मेरे जिंदगी के विस साल बित चूँके है | मै नांदेड शहर के सबसे बड़े यशवंत महाविद्यालय मे बी ए  lll year था , मेरे कॉलेज मे बहूत से दोस्त और सहेलियॉ भी थी | हम सब मिलजुलकर रहते थे | हम सभी की परीक्षाऐ  हो चूँकी थी  गर्मीयों कि छुट्चीयॉ  थी | और हम सब एक - दूसरे से दूर जा रहे थे | तो मै भी मेरे गॉव आया मगर  मन मे हमेशा बेचैनी और उदासी रहती थी | क्यों कि मुझे मेरे क्लास की वह भोलिसी सुरत याद आ रही थी | जिसे देखकर मैने खुद को पहचान लिया था | बाते तो हो रही थी, मगर पहले से कम, तो मैने उसे एक दिन कॉल किया और मिलनेका आमंञण दिया, तो उसने भी गिडगिडाते स्वर मे , " क्यों किस लिए मिलना है, अभी तो बात हुयी| ", " देखों वैसा नही तुम जो सोचती हों... पर पता नही क्यों तूम्हें देखने को दिल करता है , आ जाओं ना....

क्या करोगे

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जब सें शुरू हुयी है जिंदगानी तब सें ऑखों मेरे पानी अब तुम ही बताओं सुनकर क्या करोगें मेरी कहानी        जिसके साथ किया था      शुरू सफर जिंदगी का      वही छोड चला दूनीयॉ दारी      अब तुम ही बताओं कैसें बताऊँ मैं मेरी कहानी बताऊँ तों  ऑखों में पानी आ जाता इंन्कार करूँ तों तूम रूठ जातें सुनकर थोडी सी इंन्सानीयत ही दिखाओगें ,बोलों और क्या करोगें                              मारोती गंगासागरे..

मेरी हिंदी भाषा

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  मारोती गंगासागरे दो वर्णो से बनी है      मेरी हिंदी भाषा    यहॉ के कण - कण मे   विराज मान है मेरी भाषा बिना सिखे ही बोल सकता है जन मेरी हिंदी भाषा         ऐसे ही दो वर्णो से बनी है          मेरी भाषा         अन पढ तो बोलता है          पढा लिखा तो अजमाकर छोडता है         पशु पंछी भी बोल सकते है         मेरी हिंदी भाषा    ऐसे ही दो वर्णो से बनी है    मेरी हिंदी भाषा....

क्या है प्यार....

मारोती गंगासागरे नाही देखा हैं नाही जान है फिर भी तुम्हें दिखते है यार इसीको कहते हम प्यार                       तेरेही खयालो में खोए रहते है यार                       आपने -आपसे जादा तुम्हे                      पसंद करते है यार                      इसी को कहते है प्यार          रात - दिन तेरेही         ख्यालो में खोए रहते है हम       याद तेरी जब भी आती है       दिल को धडकालेते है हम       इसीको कहते है प्यार हम

बोलती दिवारे...

सुना-सुना सा... वह मकान जहॉ मैं बेचैन होकें बैठा था?        बोलती थी वह        सुनी कमरों की        सुनी सी दिवारें       एक दूसरें कों       मजें में दर्द बताती मैं भी सुनता उसके साथ बेचैन बनता वह मूझे अपना दर्द सुनाती मैं भी सुनकर उसें बताता मेरी बेचैनी मैं भी सुनाता             काश यह दिवारे सुनती            तो मैं भी मेरी कहानी सुनाता           पर लगता है बेजान होकर भी           जान है, दिवारो में इसीलिए मैं उसकी बेचैनी समझ पाया,और कहेने लगा बोलती है सुनी दिवारे....

क्या तूम जानती हो...

    मारोती गंगासागरे क्या तुम जानती हो कही  धुप है तो कही छॉव है कोयी तुम्हारे बेतरार मै जानता हूँ तुम्हारी बेचैनी  समझता हूँ तुम्हारी देह बोली  क्या मेरी तरहॉ तूम भी समझ सकती हो... बोलो ना क्या तुम जानती हो.. .

कितने दिनों कें बाद

मौसम नें मौसम सें मिलवायॉ  💐💐💐💐   वहॉ क्या आदा दिखलायी   न जानें कितनें दिनों कें बाद   आज ओ कली सामनें आयी...               कहॉ छूप गयी थी               इन बहारों कें बिछ मे               यूही अचानक आज               कुहरों सें मिलनें हरें पत्तोसे बहार आयी तभी मेरी जनर में ओ फसं गयी देखकर उसें मन डोल उटा ओं भी हल्की सी मुस्कायी       दोनें नें एक दूसरें को       बहूत दिनों कें       बाद आज  ऑख मिलायी...       न जानें कितनें दिनों बाद      वह कोमल सी आदा     दिखलाकर शर्मायी...                     मारोती गंगासागरे....👍👍

कितने दिनों कें बाद...

लेखक मारोती गंगासागरे काफी दिनों से कुछ अलग सा महेसुस हो रहॉ था | दिन को चैन और रात में सुकून से भरी निंद का स्वाद कितने दिनो से मिल ही नही पाया, धुंडने की कोशिष की पर कुछ हासील नही हुऑ | फिर मैं सोच मे डुब गई की ऐसा क्यों हो रहॉ है | पुरा एक दिन सोच - सोचकर बितायॉ मेरा चैन सुकून मिल जाऐ यही एक आशा से फिर भी कुछ हालात सुधरे नही, दिनों - दिन स्थिती और मेरी समस्या बढती गई | क्या करँ ? कुछ भी नही पता ऐसा क्यो हो रहॉ | इन सारी परेशानियों से पढाई पर पानी बहने लगा, मैं तंग होकर खुद से ही कहने लगी, " अखिर वजा क्या है ? हाल निकालनेसे नही निकलता ऐसा क्यो..." परेशान होकर रोने लगी, और जबरदस्ती सें सो गई|           एक दिन इतना टेंशन बढ गया की मैंने मेरी सारी परेशानी सहेली को बताई, ओं भी सुनकर जरा सा हँसकर कहने लगी ," इसमे मैं क्या करुँ... खुद ही सोचले | " मैने काफी सोच कर इसे मेरा हाल बतायॉ मगर इसने भी मुझें ही... अचानक सहेली गिडगिडाते स्वर मे बोली , " ऐ सुन तुझे जो लडका बात करता था , क्या ओ सिलसीला शुरू है |"    उसका यह वाक्य सुनकर माथे पर पसिना आगया और प...

क्या समझू मै...

क्या समझूँ मै तेरे मौन को          क्यो चेहरे की हँसी चली गयी         मूझे देखकर तू क्यो उदास हो गयी         क्या समझू मै तेरे इस उदासी को               मेरे मन की बे चैनी बढ रही है               दिल धडकने तेज हो रही है               क्यो नही देख सकतीतू इस धडकनों को               क्या समझु मै तेरे इस बँद आँखो को         बोलते नही तेरे          यह खामोश होट           फिर भी सुनाते है ऑखे           क्या समझू मै तेरे इस           ऑखो को...                     बोलो खामोश क्यो हो                     क्या हो गया मूझे भी समझाओ          ...

लोग क्यों हार कर बैठते निराश

लोग क्यो हार कर बैठते निराश        वे जानते नही आनेवाली है रात       ढल जाऐगा अँधेरा होगी दिन की शुरुवात       आयगी ऑगन में खूशीयों कि बारात                  लोग क्यों हार कर बैठते निराश                  जो है उसका हँसकर स्विकार करो                  आज नही तो कल आपकी हार जित बन जाऐगी                  या नयी सिख दे जायगी इसका इंन्तजार करो     लोग क्यों हार कर बैठते निराश    हार कर निराश ना बन जाओं     वही मंजील रास्ता नया तलाश करो     हो जाऐगी दूगनी खूशी हार कर जितनेती                  बस!यही याद रखो                  एक दिन हार कर मंजील                  कदमो मे गिर जाऐगी ...

होली का त्योहार आया

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मारोती गंगासागरे खेतो में गेंहू की फसले पक्क गई सरसो के फुल सुखने लगे पलाश भी पञ हीन होकर ,फुलो से सज गया मानो प्रकृती पर नया योवन छा गया इसीलिए आज खुशीयॉ लेकर होली का त्योहार आ गया              सर्दी की छुट्टी हुई, गर्मी का आगमन हुआँ               सुरज भी बन गया देखो               धरती का दुश्यमन...               ऐसे मे बुरे शक्ती को जलाकर                भस्म करने के लिए                होली का त्योहार आ गया बिघडी बात को सुधारने रिश्तो को मजबूत बनाने हर मन के व्देश को जलाकर हल्की सी सुगंध फैलाकर जीवन मे प्यार का रंग भरने के लिए देखो होली का त्योहार आया खेतो में गेंहू की फसले पक्क गई सरसो के फुल सुखने लगे पलाश भी पञ हीन होकर ,फुलो से सज गया मानो प्रकृती पर नया योवन छा गया इसीलिए आज खुशीयॉ लेकर होली का त्योहार आ गया        ...