लोग क्यों हार कर बैठते निराश
लोग क्यो हार कर बैठते निराश
वे जानते नही आनेवाली है रात
ढल जाऐगा अँधेरा होगी दिन की शुरुवात
आयगी ऑगन में खूशीयों कि बारात
लोग क्यों हार कर बैठते निराश
जो है उसका हँसकर स्विकार करो
आज नही तो कल आपकी हार जित बन जाऐगी
या नयी सिख दे जायगी इसका इंन्तजार करो
लोग क्यों हार कर बैठते निराश
हार कर निराश ना बन जाओं
वही मंजील रास्ता नया तलाश करो
हो जाऐगी दूगनी खूशी हार कर जितनेती
बस!यही याद रखो
एक दिन हार कर मंजील
कदमो मे गिर जाऐगी
देखकर हो जाओगे हैरान
बस!प्रयास ना छोडो हार कर
ना बैठो निराश यही याद रखो....
वे जानते नही आनेवाली है रात
ढल जाऐगा अँधेरा होगी दिन की शुरुवात
आयगी ऑगन में खूशीयों कि बारात
लोग क्यों हार कर बैठते निराश
जो है उसका हँसकर स्विकार करो
आज नही तो कल आपकी हार जित बन जाऐगी
या नयी सिख दे जायगी इसका इंन्तजार करो
लोग क्यों हार कर बैठते निराश
हार कर निराश ना बन जाओं
वही मंजील रास्ता नया तलाश करो
हो जाऐगी दूगनी खूशी हार कर जितनेती
बस!यही याद रखो
एक दिन हार कर मंजील
कदमो मे गिर जाऐगी
देखकर हो जाओगे हैरान
बस!प्रयास ना छोडो हार कर
ना बैठो निराश यही याद रखो....
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