बारिश कें दिनो मे...कविता

बारिश कें दिनो मे
गाती चिडियॉ  कवि मारोती गंगासागरे
नाचते मोर
देखकर हरी- हरियाली
हम भी मचाते शोर
          बारिश कें दिनो मे
          लहराती हुई फसलें
          देखकर जाग उठे
          किसानों के सपने
         हम ही है शामिल अपने सपनों मे
बारिश कें दिनो मे
धूम मचाती नदी
उसमे है मछलियों कि छवि
कभी यहॉ तो कभी वहॉ दिखाती
अचानक कहॉ गायप हो जाती
            बारिश कें दिनो में
            सारा जहॉ भी हैं मस्ती मे
            देखकर सबकी हँसी
            जाग उठी यह सोई धरती
            बारिश कें दिनो में....

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