प्रेम कहानी रिश्तें बदलतें हैं...

     बारिश के थे चारो ओंर मन चाहॉ वातावरण यंव स्थितीयॉ थी, दिल को लुभाने की बाते भी हो रही थी |इस स्थिती मे काले बादलो की हल्की सी मुस्कान और वह हवा झोका मन का उत्साह बढांने मे मदद करता रहॉ |मिनट- दर मिनट ऐसा समय भी कटता हुऑ नजर आ रहॉ था, इसी समय नैन अपनी एक लौती जग से निराली, खुद से बेगानी दिल की धडकन ऐसी सहेली को मिलने के लिए उत्साह भरे मन से आमंञण देता है | तो वा भी झट से आमंञण स्विकार करती है और बताई हुऐ जगह पर नैन से पहले आकर नैन का इंन्तजार करती हुई बैठी थी | और काले बादलो की ओंर देखकर उसकी हँसी और पागल सी हवा उसके बाल पकडकर झुला -झुल रही थी | ऐसे स्थिती मे वे नैन के आने का इंन्तजार कर रही थी और प्रकृती के सौदर्य मे मंञ मुक्त होकर वह पंछियों के गीत सुनने लगी थी |
       तभी नैन आता है और कहता है| ," कहॉ खोऐ हों आप  क्या किसीका इंन्तजार हैं आपको | "  नैन की ऐसे बाते सुनकर श्रध्दा ने अपनी ऑखे बिल्ली की तरहॉ टटोलकर कहॉ, " हॉ... आपका ही इंन्तजार था ,पर लगता है कि आपको आने मे देर हो गयी ,इसीलिए मै इन हँसीन  बादलो को देखकर  मै कहॉ खो गयी मै भी नही जानती और तुम आऐं हो इसकी मुझे खबर तक नही देखो ना... कितना अच्छा लगता यहॉ |" ऐसे श्रध्दा ने हँसकर कहॉ और फिर बादलो की ओर देखने लगी, तो नैन कहने लगा ,
    " देखों मैं देर करता नही , देर हो जाती है , माफ भी तर दों sorry यार जादा नही बस ! थोडी सी देर हुई होगी मुझे आने मे " नैन की आवाज मे व्याकुलता और प्यार भी नजर आ रहॉ था | तो श्रध्दा भी प्यार से सुन रही थी तभी अचानक कहने लगी ," जादा नही बस ! 30 मिनट 45 सेकंद देर हुयी है, जादा नही और मैं समझ सकती हूँ तूम्हीरी परेशानियॉ टेंशन मत लो आओ बैठकर बाते करते है |"
         श्रध्दा की यह बाते सुनकर नैन की धजकनोने थंडी सी सास ली और एक दूसरे को काफी समय देखते रहें | जैसे एक - दूसरे कों जानते पहचानते न हों...ऐसे स्थिती मे श्रध्दा ने काफी नाटकिए ढंग से कहॉ|
    " जी सुनीऐं  आपका नाम क्या है , जनाब तुम काफी शर्मीले स्वभाव के लगते हों मुझे लगता है कि आपका नाम कुछ तो होगा |"
     " हॉ मेरा नाम कुछ तों हैं मगर मैं मेरा नाम क्यों बताऊँ आपको |"
      नैन की यह बाते सुनकर  श्रध्दा और नैन दोनो हँसने लगे तभी नैन ने काफी सरलता से कहॉ ," क्यों यहॉ आपको अच्छा लगता है या नही , मुझे पता नही तो बताओ ना... |" तो काफी शर्मीले स्वर मे श्रध्दा भी कहने लगी | ," जी बहूत अछा लगता है यहॉ, जैसे देखो आज कुछ नया... छोडो मैं भी ना कहॉ भटक गयी... मगर हॉ देखो ना... मै तुम्हें मिलना नही चाहती थी, पता नही आपने आपको रोक भी नही पायी, तुम्हें ना देखू यह निश्चय किया था, मगर ऑखो को रोक न पायी... बोलो ना... ऐसा क्यों हो रहॉ है | मुझे तो पता नही शायद तुम्हें ही कुछ |"
      श्रध्दा की बाते सुनकर नैन बादलो की ओर देखकर कहने लगा ," जी आपका शुक्रियॉ  क्यों कि आप की इच्छा ना होते हुऐ भी आपने हमारा आमंञण स्विकार किया |" फिर नैन की बाते सुनकर श्रध्दा कहने लगी की,
" तुम भी ना मजाक करते हो कि बाते कुछ समझ मे नही आता पर सच्च कहती हूँ हम दोनों आगे की दूनीयॉ मे निकल आऐ है | क्या... तुम्हें इस दूनीयॉ का नाम पता है | ऐसा कहकर श्रध्दा ने अपनी गर्दन निचे की और
शर्माते हुऐं खुद के पैर देखने लगी, तो काले बादलो की छॉव फसलो की लहरे और पंच्छियों के आवाज को साक्षी मानकर....|
       " हम सबसे पहले सहपाठी थे, बाद मे दोस्त कब बन गऐ शायद यह तुम जानती हो और अब तुम तो कहती हो कि हम किसी दूसरी दूनीयॉ मे है... तो चलो जल्दी उस दूनीयॉ का नाम बताओं ना... |
      बादलो का उत्साह बढता गया बेशर्म होकर दोनो को सताने लगी थी | श्रध्दा भी शर्माकर गालो मे हँसने लगी , उसका यह कोमल रुप  देखकर सारे पेढ- पौधे और नैन भी खूशी से झुम  उठा था |और श्रध्दा भी बादलो के संग झुम उठी थी | जैसे देखो धरती बादलो को मीलने का मिलने का संदेश हवाओं के जरीए भेज रही थी| और यह दोनो अपने दिल की बात एक- दूसरे को बताना़ शुरू करने का मजा ले रहें | तभी नैन ने कहॉ,
       " बताओ ना... उस दूनीयॉ का नाम क्या है| " तो श्रध्दा भी हँसकर कहने लगी, " तुम्हें पता हैं फिर भी नही बताते हों... क्यों सताते हो... बोलो ना... जादा सब्र नही |"
    ऐसा श्रध्दा ने बडे ही प्यार भरे स्वर में कहॉ और अपनी गर्दन निचे झुका ली | फिर नैन ने मजाक करते हुऐ कहॉ,
      " मुझे पता है मगर तुम्हारी आवाज मे सुनना है ,तुम सुनाओगी ना..."
यह सुनकर श्रध्दा सोचने लगी तभी नैन ने श्रध्दा को हिलाकर कहॉ ,
     " कहॉ खो गयी हो इसीलिए मै कहता हूँ रिश्ते बदलते है , देखो ना हम सबसे पहले सहपाठी थे, बाद मे दोस्त बन गऐ और अब देखो ना... नाचाहकर भी तुम मुझें...|"
     " हॉ तुम बिलकुल सच्च कहते हों रिश्ते बदल ते है, देखो हमारा रिश्ता और मैं भी बदलगयी हूँ...

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