मेरी हिंदी भाषा

 
मारोती गंगासागरे

दो वर्णो से बनी है
     मेरी हिंदी भाषा
   यहॉ के कण - कण मे
  विराज मान है मेरी भाषा
बिना सिखे ही बोल सकता है
जन मेरी हिंदी भाषा
        ऐसे ही दो वर्णो से बनी है
         मेरी भाषा
        अन पढ तो बोलता है
         पढा लिखा तो अजमाकर छोडता है
        पशु पंछी भी बोल सकते है
        मेरी हिंदी भाषा
   ऐसे ही दो वर्णो से बनी है 
  मेरी हिंदी भाषा....

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पाँच प्रेम कविता

प्रेम कहानी रिश्तें बदलतें हैं...

हिंदी भाषा का प्रसार प्रचार