1 क्या देखतें हो... क्यों क्या देखते हो ऐसे आँखे खोलके ऐसें ना देखो मुझें बोलों ना क्या हैं मुझमें चूप क्यों हों कहो ना...कब तक देखोगे मुझें ऐसे...ना देखों मेरे दिल का दरवाजा खुल जाएगा... फिर तेरा निकलना मुश्किल हो जाएगा तो मेरे दिल में तू सफर का अप्साना बनकर रह जाएगा अब तो नजर हटाओ ना... नजर से मेरे... मैं देखना नही चाहती तुम्हारी आँखों को पर क्या करूँ तुम्हें देखें बिना आँखें नही रह पाती पूछो ना...अब मुझे क्यों बार-बार देख ...
बारिश के थे चारो ओंर मन चाहॉ वातावरण यंव स्थितीयॉ थी, दिल को लुभाने की बाते भी हो रही थी |इस स्थिती मे काले बादलो की हल्की सी मुस्कान और वह हवा झोका मन का उत्साह बढांने मे मदद करता रहॉ |मिनट- दर मिनट ऐसा समय भी कटता हुऑ नजर आ रहॉ था, इसी समय नैन अपनी एक लौती जग से निराली, खुद से बेगानी दिल की धडकन ऐसी सहेली को मिलने के लिए उत्साह भरे मन से आमंञण देता है | तो वा भी झट से आमंञण स्विकार करती है और बताई हुऐ जगह पर नैन से पहले आकर नैन का इंन्तजार करती हुई बैठी थी | और काले बादलो की ओंर देखकर उसकी हँसी और पागल सी हवा उसके बाल पकडकर झुला -झुल रही थी | ऐसे स्थिती मे वे नैन के आने का इंन्तजार कर रही थी और प्रकृती के सौदर्य मे मंञ मुक्त होकर वह पंछियों के गीत सुनने लगी थी | तभी नैन आता है और कहता है| ," कहॉ खोऐ हों आप क्या किसीका इंन्तजार हैं आपको | " नैन की ऐसे बाते सुनकर श्रध्दा ने अपनी ऑखे बिल्ली की तरहॉ टटोलकर कहॉ, " हॉ... आपका ही इंन्तजार था ,पर लगता है कि आपको आने मे देर हो गयी ,इसीलिए मै इन हँसीन बादलो को देखकर मै कहॉ...
हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं विकास हिन्दी भाषा लगभग 5००० साल पुरानी है।अमीर खुसरो ने सबसे पहले इस भाषा को हिंदी नाम दिया, ऐसा माना जाता है। सिंघू नदी के किनारे बसी मानव सभ्यता भारत की सभ्यता है। सिंधू नाम इरान जा कर अपभ्रंश हो कर हिंदी पुकारा गया। चीन की भाषा मेडेमिन सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है,इस के बाद नम्बर आता है हिंदी भाषा का जिसे लगभग ७० करोड़ लोग बोलते समझते हैं। हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है। फिर भी हिंदी को राष्ट्रभाषा जैसा सम्मान नहीं मिला है। भारत में भी अंग्रेजी भाषा बोलने समझने वाले नागरिक को ज्यादा सम्मान मिलता है,आमतैर पर। भाषा आदमी सीखता है नोकरी धंन्धे हेतू सामान्य तौर पर।कम्पूटर ओर नेट के जमाने में अंग्रेजी भाषा बोलने समझने वाले नागरिक को ज्यादा अवसर रोजी-रोटी हेतु। इसलिए भी हिंदी पिछड़ रही है। अदालत में भी जिक्र अंग्रेजी में होती है बड़ी अदालत में।फैसले भी अंग्रेजी में लिखे जाते हैं। भारत सरकार को हिंदी में बड़ी अदालत में जिरह हौ, फैसले हिन्दी में लिखे जाये ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। हिंदी भाषा का विस्तार रोज हो जैसा अंग्रेजी के लिए ओकस्फोड युनिवर्...
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