बाबुल पुकारे बेटियाँ
रचना द्वारा स्वरचित है
💐बाबुल पुकारे बिटिया💐
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सूना सूना है घर आंगन फिर महका जा।
बाबुल पुकारे बिटिया एक बार तू आजा।।
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जब तू अाई अंगना घर खुशियां छाई ।
दादा - दादी ने बांटी अनगिन बधाई।।
वैसी ही बधाई आजा
फिर तू बंटा जा........बाबुल पुकारे..१
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छुन छुन बजती थीं तेरी पैरो की पायल।
सुनने को धुन ये सब रहते थे कायल ।।
तरसे है कान मेरे
वो धुन तू सूना जा ....बाबुल पुकारे...२
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तेरी सावन की बातों को नहीं कोई भूला।
रोए वो डाली जिस पर डलता था झूला।।
छोटा भाई जिद्द है करता
आकर झूला जा .... बाबुल पुकारे....३
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तीज त्योहार बिता राखी भी अाई।
राह निहारे तेरे भाई की कलाई ।।
सूनी कलाई राखी
फिर तू सजा जा ....बाबुल पुकारे...४
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छुप छुप रोए बाबुल धीर धरे ना।
मन की पीड अपनी किसी को कहे ना।।
दुखी तेरे बाबुल को
आ धीर बंधा जा .....बाबुल पुकारे..५
✍️रमाकांत सहल✍️
छावसरी झुंझुनूं राजस्थान
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