सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी को समर्पित रचना

 त्रिपाठी निराला जी को समर्पित रचना
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

*हे दिव्यरूप!हे महाप्राण
शुभ भाव प्रदाता करो त्राण।
इस सघन जगत की अमानिशा
को भेद भेद  शुचितम करते
तुम अहा! निराले , मतवाले
नित नव नव गति पग में धरते।
समरसता के तुम हो वाहक
मानवता के तुम हो रक्षक।
हे महामनीषी! सूर्यकांत
साहित्य जगत है सदा ऋणी
अब तुम जैसे मतवालों का
तुमने तम के जाले काटे
देकर प्रकाश उजियालों का।
तुम सदा सजग शुभ भाव प्रमन
हे महाप्राण ! शत् कोटि नमन।
(स्वरचित)
डॉ मधु पाठक जौनपुर उत्तर प्रदेश

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पाँच प्रेम कविता

प्रेम कहानी रिश्तें बदलतें हैं...

हिंदी भाषा का प्रसार प्रचार