नंगा राजा

नंगा राजा 
                 Manoj Paul

हर कोई देख रहा है कि राजा नंगा है
फिर भी सभी ताली बजा रही है।
हर कोई चिल्ला चिल्ला कर कह रही हैं, बहुत बढ़िया ,बहुत बढ़िया।
किसी के मन में सुधार हे तो किसी के मन में डर-
किसी ने तो अपनी बुद्धि महाजन के पास गिरवी रखा है
कुछ कुछ लोग तो खाने-पीने की लोभी है,
इनमें से कुछ तो लाभार्थी, उम्मीदवार, धोखेबाज भी हैं;
कुछ लोग तो सोचते है कि शाही कपड़े वास्तव में ही सुक्ष्म हैं,
दृष्टि में नहीं आ रही है तो क्या, फिर भी व है !
कम से कम यह असंभव तो नहीं ।

इस कहानी तो सभी जानते हैं।
लेकिन इस कहानी के अंदर
सिर्फ प्रशंसा का एक शब्द ही नहीं था..
सिर से पाँव तक मूर्ख, अनपढ़,विवेकशून्य,चालबाज दर्शक भी कम न थे,
इन सबके बीच एक बहादुर वालक भी था -
सच्चा, सरल, साहस से भरपूर एक वालक।
कहानियों का राजा वास्तव की सड़कों पर चल पड़े -
चारों और(मुहूर्महु) तालियों की गूंज उठी है
प्रशंसा करने वालों की भीड़ जम गई है।
लेकिन ,
उस वालक को आज----
मैं भीड़ के अंदर ढूंढने लगा हो ,कहीं नहीं दिखाई दे रही हैं
वह वालक कहां गया? क्या किसी ने उसे किसी
पहाड़ों कि अंदर गुप्त गुफा में छूपा लिया है?
या वह पत्थर-घास-मिट्टी के साथ खेलते हुए
एक सुनसान नदी के किनारे सो गया है--
न किसी पेड़ों की छाया में बैठे हैं।


जाओ, उसे कैसे भी ढूंढो, कहीं से भी लेकर आओ..
वह आकर एक बार मेरी सामने निर्भय होकर बोले ,
तालियां बजाने वालो की विरुद्ध करे 
और पूछें;
राजा, तुम्हारे कपड़े कहाँ हैं?

Manoj Paul

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