नारी को अधिकार मिले
नारी को अधिकार मिले
जब से नारी को नारी का, सम्बल मिलना शुरु हुआ।
वसुधा से उठकर नारी ने, हाथों से आकाश छुआ।।
पग - बाधा बनकर नारी ने, नारी को अक्सर रोका।
नारी ने इतिहास रचाया, जब भी उसे मिला मौका।।
आँख खोलकर देख पाँव अंगद- सा जमां जमीं पर है।
और हाथ में सीढ़ी अथवा, सीढ़ी ही दोनों कर है।।
धरती से अम्बर तक नारी, अथवा जग नारीमय है।
अवध नारियों से ही उन्नत,नर - नारी है, किसलय है।।
इसीलिए अब से नारी को, नारी का अधिकार मिले।
पतझड़ से व्याकुल उपवन को, पावस का उपहार मिले।।
मानवता के लिए स्वयं का, अहंकार अर्पण कर दें।
पौरुष के शुभ नवाचार को, मनुज हेतु दर्पण कर दें।।
डॉ. अवधेश कुमार अवध
मेघालय 8787573644
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