जल और वृक्ष

जल और वृक्ष
अलका जैन
जल है तो जीवन यार दोस्त
वरना बंमाड में जीवन कहां
शबनम की बूंद सी प्यास हमारी
बहा रहे दरिया बेकार बेमक़सद
सावन में जो सहेजें जल पानी
छत का पानी रोक वहीं सयाना
बरसात  देती पानी प्यासी धरती को
सावन में जो चाहो  जल बरसे  यारो
निमंत्रण देने बरसात को वृक्ष लगा
जल उपर से नहीं सोना बरसे यारो
किसन की मेहनत रंग लाये पैसा
जब बाजार में तब जाकर आये यार
पानी बने सोना जब प्यापारी हर्षाते
गांव गांव गली गली में लक्ष्मी आती
जल कीमत अनमोल राज जान ले
किसी प्यासे पूछ पानी कितना  मोल
बूंद बूंद पानी देता जीवन जीवन को
 बूंद बूंद टपके पानी नल से दोस्त
तब निचे बर्तन रख बचत कर जल
खोल नल व्यर्थ ना बहा जब दांडी बने
बरसात का पानी का मिजाज बिगड़े
तब तबाही आती कैसी कैसी सब जाने
संकलित पानी ग्लेशियर में सदियों से
गर्मी बड़े तब पिघलते ग्लेशियर संसार में
तबाही आती मचे  बर्बादी हर ओर सखी
गर्मी कम हो मंदिर मस्जिद नहीं जंगल बना
बचे तौ धर्म भी खूब चर्चा होगी फिलहाल पैड लगा
अस्तित्व बचा आपना ओर अन्य जीव का
 हम तुम मिल कर  गुलशन लगाये बाग
वृक्ष ना काटे हरा-भरा कोई  सावधान
कभी पानी लाते कभी बर्फ पिघलने से
रोकते जंगल बड़ा घर बने ना बने दौस्त
बड़ा जंगल  बचे रहें प्रार्थमिकता यही हो
जल है तो कल है सब को संदेश पहुंचा
जल बचा ग्लेशियर बचा दुनिया बनी रहे
अलका जैन इंदौर

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