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सितंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

व्यंग्य ] गैर जरूरी शर्ते

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[ व्यंग्य ]             गैर जरूरी शर्ते                मेरा प्रथम पौत्र जिसका कुल जमा उम्र ढाई साल तक पहुंच गई है, इस हाइटेक जमाने का मेरा प्रथम छाया युगीन लाडला ने अपने 'डिजिटल-हाइटेक' लड़के को भविष्य का सुपर कम्प्यूटर सरीखा बनाने का ख्वाब संजोये आज के 'जेनेटिक कल्चर' के हाई-फाई इंग्लिश एकेडमिक स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए इन स्कूलों की परिक्रमा करना शुरू कर दिया। अपने छायावादी युगीन लड़के के 'फास्ट-फूड ' जीवन शैली में अपना पारम्परिक भोजन का स्वाद परोसने की गरज से बोल पड़ा - " क्यों बच्चे के नाज़ुक पीठ पर स्कूल के भारी-भरकम बैग को लाद रहे हो ? मैंने भी तो तुम्हे इतने उच्च स्तर की शिक्षा दिलाई है, लेकिन स्कूल के बैग का बोझ तुम पर तब डाला जब उम्र के आंकड़ों में भारत सरकार की पंचवर्षीय योजना को साकार कर लिये थे।"               लाडले ने डायलाग मारा - " रहने दो अपने जमाने के भोपू नुमा ग्रामोफोन के भारी-भरकम, घिसे-पिटे आउट आफ डेट हों चुके रिकॉर्ड को बजाने को, और पंडित नेहरु जी के चलाये ...

सुनसान राहें ,सूना शहर है

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*"सुनसान राहें ,सूना शहर है "  सुनसान राहे,सूना शहर है |  चुप्पीसी क्यों है? मरघट सा घर हे   अरमान तड़के या टूटे हैं सपने?  यह क्या हो रहा है? सहमा  हर बशर है |  कोई तो बताए क्यों सदमे में सब हैं?  टूटा है तारा या सदमे में रब है?  तोड़ो यह चुप्पी, गाओ ना नगमे,  छोड़ो उदासी, जीवन एक क्षण है |  नाचो ना गांओ,  मर्जी तुम्हारी,  सदा मुस्कुराओ, है यह मर्जी हमारी|  रो रो के गुजरे, यह कैसा सफर है?  हंस बोलकर, अब  तोड़ो खुमारी |  सन्नाटा पसरा, है अपनी ही गलती |   ना करते जो मन की, कुदरत ना छलती ,  फैलाकर दामन, दुआ रब से मांगे,  वह सुनता है सबकी,बला उससे टलती |  उजली किरण फिर आएगी हम पर,  सागर दया का वह हे करुणाकर |  मानस-पटल पर, बैठा है सबके,  मिलकर पुकारे" करो रक्षा हरिहर"  श्री कृष्ण खोडे " किशोर"*******🙏*                     11/B=विनायक नगर,उज्जैन रोड देवास( मध्य प्रदेश)        ...

बेगार गुलाम नारी।

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चित्रलेखन।  बेगार गुलाम नारी। नर सत्तात्मक प्रशासन से मुक्त। नर नारी की अर्द्ध शक्ति। अर्द्ध नारीश्वर सम शक्ति। परावलंबित नारी नहीं, स्वावलंबित नारियां।। शिक्षा उन्नति सही। पर युवक युवतियों में संयम की कमी, जितेंद्र कोई नहीं। देवेंद्र को भी शाप, शरीर भर योनी। संयम रहित अगजग में नारी की हिफाजत नारी। चालक नारी चतुर बन  पर्दा फेंक कर बाहर आती यह एक महिला संघ का साहस। नारियां वीरांगनाएं, नारियां विमान चालक। नारी उत्थान मातृसत्तात्मक शासन। जय हो नारी शक्ति और स्वावलंबन।       अनंत कृष्णन, चेन्नै

नंगा राजा

नंगा राजा                   Manoj Paul हर कोई देख रहा है कि राजा नंगा है फिर भी सभी ताली बजा रही है। हर कोई चिल्ला चिल्ला कर कह रही हैं, बहुत बढ़िया ,बहुत बढ़िया। किसी के मन में सुधार हे तो किसी के मन में डर- किसी ने तो अपनी बुद्धि महाजन के पास गिरवी रखा है कुछ कुछ लोग तो खाने-पीने की लोभी है, इनमें से कुछ तो लाभार्थी, उम्मीदवार, धोखेबाज भी हैं; कुछ लोग तो सोचते है कि शाही कपड़े वास्तव में ही सुक्ष्म हैं, दृष्टि में नहीं आ रही है तो क्या, फिर भी व है ! कम से कम यह असंभव तो नहीं । इस कहानी तो सभी जानते हैं। लेकिन इस कहानी के अंदर सिर्फ प्रशंसा का एक शब्द ही नहीं था.. सिर से पाँव तक मूर्ख, अनपढ़,विवेकशून्य,चालबाज दर्शक भी कम न थे, इन सबके बीच एक बहादुर वालक भी था - सच्चा, सरल, साहस से भरपूर एक वालक। कहानियों का राजा वास्तव की सड़कों पर चल पड़े - चारों और(मुहूर्महु) तालियों की गूंज उठी है प्रशंसा करने वालों की भीड़ जम गई है। लेकिन , उस वालक को आज---- मैं भीड़ के अंदर ढूंढने लगा हो ,कहीं नहीं दिखाई दे रही हैं वह वालक कहां गया? क्या किसी ने उ...

गुरु विश्व है"

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"गुरु विश्व है" मैं जमीन हूं मुझ पर संसार खड़ा है। गौर से देखो तो मुझ पर आसमां रुका है । मां बनकर कह दूं यह पिता है, तो वह परिवार बना है । गुरु बनकर कह दूं वह भगवान तो भगवान हुआ है । परिस्थितियों  से शिक्षित कर अनुभव रूपी गुरु बना हूं।  सही गलत का पाठ पढ़ा कर वक्त कहलाना चुना हूं। स्वदेश की खातिर द्रोण, वशिष्ट, चाणक्य बना हूं । कलम से बीज बोकर देशप्रेम का, द्रोही आचार्य बना हूं । मैं गुरु पर्व हूं ,एक संस्कृति हूं, एक देश हूं, एक विश्व हूं। मैं आन, वान, शान, धरोहर,अनेक रूप ,उम्र में, अपने अंतर्मन में, सबका गुरु बना हूं। अनुराधा बक्शी "अनु"( एडवोकेट)  दुर्ग छ्तीसगढ़

सुमित्रानंदन पंत जी कोकोटि-कोटि प्रणाम

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छायावाद के चार अडिग स्तम्भों में से एक कविवर सुमित्रानंदन पंत जी को कोटि-कोटि प्रणाम 🙏🙏 मेरी कुछ पंक्तियां पंत जी के लिए- *ओ कोमल कल्पना के कवि है तुमको बारंबार नमन। सजग संवेदना के कवि है तुमको बारंबार नमन। "वीणा","ग्रंथि," "पल्लव" और' "गुंजन","युगांत","युगवाणी," "ग्राम्या",और"स्वर्ण किरण। चला चला निज तूलिका रचते नव जीवन गुंजन। "वाणी" लिखते फिर "रश्मिबंध" खुल जाती सबकी दृष्टि अंध। फिर रचते "चिदंबरा","कला और बूढ़ा चांद"तुम लिखे "अभिषेकिता" और "पुरुषोत्तम राम"लिखे। वाह सुमित्रा के नंदन! अद्भुत तुम , अद्भुत तव लेखन अद्भुत लेखन अद्भुत "परिवर्तन" भर -भर आता अपना मन कोटि-कोटि शत् कोटि नमन।* (स्वरचित) डॉ मधु पाठक, जौनपुर, उत्तर प्रदेश।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी को समर्पित रचना

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 त्रिपाठी निराला जी को समर्पित रचना 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 *हे दिव्यरूप!हे महाप्राण शुभ भाव प्रदाता करो त्राण। इस सघन जगत की अमानिशा को भेद भेद  शुचितम करते तुम अहा! निराले , मतवाले नित नव नव गति पग में धरते। समरसता के तुम हो वाहक मानवता के तुम हो रक्षक। हे महामनीषी! सूर्यकांत साहित्य जगत है सदा ऋणी अब तुम जैसे मतवालों का तुमने तम के जाले काटे देकर प्रकाश उजियालों का। तुम सदा सजग शुभ भाव प्रमन हे महाप्राण ! शत् कोटि नमन। (स्वरचित) डॉ मधु पाठक जौनपुर उत्तर प्रदेश ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★

भगवद्गीता मान्य ग्रंथ

भगवद्गीता  मान्य ग्रंथ भारतीयों के लिए  अनुशासन और कर्त्तव्य के  मार्गदर्शक ईश्वरीय देन। फिर भी देशोन्नति के साथ, धन का ही प्रधानता, दया तो अति कम। श्मशान भूमि में भी  निर्दय व्यवहार। अस्पताल में , शिक्षालयों में निष्काम कर्त्तव्य मार्ग कितने पालन करते हैं? आनंदपूर्ण , संतोषजनक शांतिपूर्ण जीवन बिताते हैं पता नहीं, पर हर कोई ईश्वर का गुण करते हैं। गीता का योगदान करते हैं पर माया या शैतान के वशीभूत मानव दुखांत में  सुखांत की खोज में। अनंत कृष्णन,(मतिनंत)चेन्नै।

राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर जी को कोटि-कोटि प्रणाम

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राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर जी को कोटि-कोटि प्रणाम *अवतरित हुए तुम इस वसुधा पर दिनकर सा ही तेज लिए। हे "रश्मि रथी" चिर नमन तुम्हें। लिखे "रेणुका", "हुंकार" लिखे "इतिहास के आंसू"कभी लिखे और"बापू" को भी याद किए। हे रश्मिरथी चिर नमन तुम्हें। हो "कुरूक्षेत्र"के तुम नायक तव लेखन है असिधार लिए। रचना करके "उर्वशी"ग्रंथ आत्मिक सौंदर्य गढ़ा तुमने। "परशुराम की प्रतीक्षा"लिख "संस्कृति के चार अध्याय" पढ़ा तुमने। आतंकी महलों के सम्मुख लिख लिख जनवाद खड़ा करते। आजादी का बिगुल बजा कर जन-मन ‌में राष्ट्र प्रेम भरते। अपनी वांणी को मुखरित कर जन जन को जागृत करते। हे दिव्यरूप!हे रश्मिरथी हे भरत! तुम सजग राष्ट्र  के चिर प्रहरी।तुमसे सदा प्रदीपित होगा यह हिन्दी साहित्य गगन, कोटि-कोटि शत् कोटि नमन *🙏🙏 डॉ मधु पाठक, जौनपुर, उत्तर प्रदेश।

बाबुल पुकारे बेटियाँ

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रचना द्वारा स्वरचित  है  💐बाबुल पुकारे बिटिया💐 -------------------------------------- सूना सूना है घर आंगन फिर  महका जा। बाबुल पुकारे बिटिया एक बार तू आजा।। 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 जब तू अाई अंगना घर खुशियां छाई । दादा - दादी ने बांटी अनगिन बधाई।। वैसी ही बधाई आजा फिर तू बंटा जा........बाबुल पुकारे..१ 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 छुन छुन बजती थीं तेरी पैरो की पायल। सुनने को धुन ये सब रहते थे कायल ।। तरसे है कान मेरे  वो धुन तू सूना जा ....बाबुल पुकारे...२ 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 तेरी सावन की बातों को नहीं कोई भूला। रोए वो डाली जिस पर डलता था झूला।। छोटा भाई जिद्द है करता आकर झूला जा .... बाबुल पुकारे....३ 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 तीज त्योहार बिता राखी भी अाई। राह निहारे तेरे भाई की कलाई ।। सूनी कलाई राखी फिर तू सजा जा ....बाबुल पुकारे...४ 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 छुप छुप रोए बाबुल धीर धरे ना। मन की पीड अपनी किसी को कहे ना।। दुखी तेरे बाबुल को आ धीर  बंधा जा .....बाबुल पुकारे..५              ✍️रमाकांत सहल✍️ छावसरी  झुंझुनूं राजस्...