व्यंग्य ] गैर जरूरी शर्ते

[ व्यंग्य ] गैर जरूरी शर्ते मेरा प्रथम पौत्र जिसका कुल जमा उम्र ढाई साल तक पहुंच गई है, इस हाइटेक जमाने का मेरा प्रथम छाया युगीन लाडला ने अपने 'डिजिटल-हाइटेक' लड़के को भविष्य का सुपर कम्प्यूटर सरीखा बनाने का ख्वाब संजोये आज के 'जेनेटिक कल्चर' के हाई-फाई इंग्लिश एकेडमिक स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए इन स्कूलों की परिक्रमा करना शुरू कर दिया। अपने छायावादी युगीन लड़के के 'फास्ट-फूड ' जीवन शैली में अपना पारम्परिक भोजन का स्वाद परोसने की गरज से बोल पड़ा - " क्यों बच्चे के नाज़ुक पीठ पर स्कूल के भारी-भरकम बैग को लाद रहे हो ? मैंने भी तो तुम्हे इतने उच्च स्तर की शिक्षा दिलाई है, लेकिन स्कूल के बैग का बोझ तुम पर तब डाला जब उम्र के आंकड़ों में भारत सरकार की पंचवर्षीय योजना को साकार कर लिये थे।" लाडले ने डायलाग मारा - " रहने दो अपने जमाने के भोपू नुमा ग्रामोफोन के भारी-भरकम, घिसे-पिटे आउट आफ डेट हों चुके रिकॉर्ड को बजाने को, और पंडित नेहरु जी के चलाये ...