नई दुल्हन कविता
नई दुल्हन
नई नवेली दुल्हन थी ओ
नया था उसके लिए घर आँगननई नवेली दुल्हन थी ओ
नया था उसके लिए घर आँगन
सभी चेहरे खुश थे , बस वही थी
निराशा से मन मे माँ की यादे आती
मन ही मन रो लेती...
नई नवेली दुल्हन थी ओ
नया - नया था, यौवन
अभी कली खिल ही चुकी थी
ना देखी उसकी खुशी
पढ़ने-लिखने के दिन थे
तो बना दी नई दुल्हन
यही रीत है इस समाज की
ना देखे बेटी को...
छीन लेते उसकी खुशी
डाल देते संसार के अंदर
ऐसे ही बना देते नई दुल्हन
सभी चेहरे खुश थे , बस वही थी
निराशा से मन मे माँ की यादे आती
मन ही मन रो लेती...
नई नवेली दुल्हन थी ओ
नया - नया था, यौवन
अभी कली खिल ही चुकी थी
ना देखी उसकी खुशी
पढ़ने-लिखने के दिन थे
तो बना दी नई दुल्हन
यही रीत है इस समाज की
ना देखे बेटी को...
छीन लेते उसकी खुशी
डाल देते संसार के अंदर
ऐसे ही बना देते नई दुल्हन
कवि मारोती गंगासागरे
नांदेड़ से 8411895350
नई नवेली दुल्हन थी ओ
नया था उसके लिए घर आँगननई नवेली दुल्हन थी ओ
नया था उसके लिए घर आँगन
सभी चेहरे खुश थे , बस वही थी
निराशा से मन मे माँ की यादे आती
मन ही मन रो लेती...
नई नवेली दुल्हन थी ओ
नया - नया था, यौवन
अभी कली खिल ही चुकी थी
ना देखी उसकी खुशी
पढ़ने-लिखने के दिन थे
तो बना दी नई दुल्हन
यही रीत है इस समाज की
ना देखे बेटी को...
छीन लेते उसकी खुशी
डाल देते संसार के अंदर
ऐसे ही बना देते नई दुल्हन
सभी चेहरे खुश थे , बस वही थी
निराशा से मन मे माँ की यादे आती
मन ही मन रो लेती...
नई नवेली दुल्हन थी ओ
नया - नया था, यौवन
अभी कली खिल ही चुकी थी
ना देखी उसकी खुशी
पढ़ने-लिखने के दिन थे
तो बना दी नई दुल्हन
यही रीत है इस समाज की
ना देखे बेटी को...
छीन लेते उसकी खुशी
डाल देते संसार के अंदर
ऐसे ही बना देते नई दुल्हन
कवि मारोती गंगासागरे
नांदेड़ से 8411895350
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