सुंदर शेर और गीत
शेर
बीत गए हैं वह दिन यादे अभी भी बाकी हैं
छूट गए हैं हाथों से हाथ मगर छुवन अभी भी बाकी हैं
ओझल हो गए नजर से वह फिर भी आँख में तस्वीर बाकी हैं
छंद
अभी-अभी रात ढल चुकी हैं
अभी तो सुबहाँ हो चुकी हैं
इश्कु का नूर उतरा
तो तन्हाई की बाते हो रही हैं
बिता मौसम एक ही दिन में
निकले हैं वह तो नए जहाँ में
हवा भी बेदर्द ना हुई हैं
ओ तो छोड़के जा चुके हैं
कविता
अभी तो सुबहाँ हो चुकी हैं
इश्कु का नूर उतरा
तो तन्हाई की बाते हो रही हैं
बिता मौसम एक ही दिन में
निकले हैं वह तो नए जहाँ में
हवा भी बेदर्द ना हुई हैं
ओ तो छोड़के जा चुके हैं
कविता
मदमस्त हवा का झोका था
आता- जाता रहता था
कभी खुशी टी कभी गम दिखता था
ऐसा ही मदमस्त हवा का झोका था
आया तो बहार था
गया तो बेहाल था
माना कि बेहद प्यारा था
ऐसा ही मदमस्त हवा का झोका था
कभी घड़ी बेघड़ी याद आता था
तो मेरा भी बेहाल होता था
मिलने तो चला था मैं मगर मिल नही पाया वह
क्यों कि चंचल से भी चंचल था
ऐसा ही मदमस्त हवा का झोका था
आता- जाता रहता था
कभी खुशी टी कभी गम दिखता था
ऐसा ही मदमस्त हवा का झोका था
आया तो बहार था
गया तो बेहाल था
माना कि बेहद प्यारा था
ऐसा ही मदमस्त हवा का झोका था
कभी घड़ी बेघड़ी याद आता था
तो मेरा भी बेहाल होता था
मिलने तो चला था मैं मगर मिल नही पाया वह
क्यों कि चंचल से भी चंचल था
ऐसा ही मदमस्त हवा का झोका था
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