निशदिन ही आना होता है |
सुप्रभात
बागों में नूतन फूलों का, खिलकर मुसकाना होता हैl
अम्बर में प्रात: सूरज का, निशदिन ही आना होता हैll
सपने बुनकर सो जाते जो, उनको जग जाना होता हैl
अम्बर में प्रात: सूरज का, निशदिन ही आना होता हैll
थककर चूर चाँद तारों का, नभ से फिर जाना होता हैl
अम्बर में प्रात: सूरज का, निशदिन ही आना होता हैll
बिगुल फूँककर कर्मभूमि में, कौशल दिखलाना होता हैl
अम्बर में प्रात: सूरज का, निशदिन ही आना होता है।।
डॉ अवधेश कुमार 'अवध'
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