मन्नू भंडारी जी को श्रद्धांजलि



                      
         मन्नू भंडारी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
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      हिंदी साहित्य जगत में बहुत से कालजयी रचनाएँ हैं | उनमें आपका बंटी यह कृति आज वर्तमान में आधुनिकता कारण हो रहे परिवार विघटन का चित्रण करने वाली कृति हैं | माता का घर मे झगड़ा , तनाव और इसका बच्चों पर होने वाला परिणाम आज भी यह समस्या बड़े पैमाने में देखने को मिलती हैं |
          कोई भी साहित्यिक कृति किसी भी काल मे प्रासंगिक लगती हैं तो मुझें लगता हैं कि वह कृतिकार ही कालजयी हैं रचना नही ऐसी बात मन्नू  भंडारी जी पर बैठ सकती हैं क्यों कि उन्होंने तत्कालीन समय लिखा साहित्य आज हम पढ़ते हैं तो लगता हैं कि यह तो आज का चित्रण हैं | मेरे पड़ोस का ही नायक हैं इतना ही नही तो कही कहि लगता हैं कि अरे यह तो मेरा आज का चित्रण हैं | इतना सटीकता से सामाजिक परिवेश का चित्रण मन्नू जी ने अपने साहित्य में किया खास कर उपन्यासों में किया हैं | मन्नू जी का साहित्य हमे वर्तमान में जीने की प्रेरणा देता हैं | परिवार में हमारा व्यवहार कैसा हो , बात किसी करनी चाहिए , बच्चों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए  यह सिखाता हैं | इसके साथ ही पति -पत्नी कैसे होने चाहिए और उनका आपस में मेल मिलाप भी किस प्रकार होना चाहिए यह सब पारिवारिक मूल्य भंडारी जी के साहित्य में मिलते हैं और यही मूल्य हमे समाज मे एक इंसान बनकर जीने के लिए मूल्यवान होते हैं कहाँ जाएँ तो एक माँ अपने बच्चों को जिस प्रकार जीना सिखाती हैं उसी प्रकार मन्नू जीने भी पाठकों में मौलिक मूल्यों को देने का काम किया हैं |
        मृत्यु के बाद इंसान का अस्तित्व समाप्त हो जाता हैं | यह हम तुम सभी देखते आय हैं मगर मुझे लगता हैं कि साहित्यकार मरने के बाद भी समाज में अपनी रचनाओं द्वारा जीवित रहता हैं | जब भी हम कोई रचना पढ़ते हैं तो रचना के शब्दों के जरिए रचनाकार हमसे बातें करता हैं | जीना सिखाता हैं तो कभी कभी कोई समस्या का हाल निकाल में सहायता करता तो कोई भी रचनाकार रचना के जरिए जीवित रहता हैं मगर उस रचनाकार को जीवित रखने का काम हम जैसे पाठकों का हैं |  आज पाठक कम होते जा रहे हैं तभी रचनाकार भी नष्ट हो रहे हैं |
       मन्नू भंडारी जी का जीवन भले ही समाप्त हो गया मगर वह हमेशा हम सब में जीवित रहेंगे क्यों कि उनका साहित्य जब - जब हम पढ़ेंगे तब - तब वह हमारे पास होंगे हमसे बातें करेंगे मगर इन जैसे सभी रचनाकारों को साहित्य के जरिए जीवित रखने का काम हम पाठकों का हैं | क्यों कि पाठक जब तक जीवित हैं तब तक मरा हुआँ साहित्यकार भी जीवित हैं |
     अंतः में इतना ही कहना चाहता हूँ कि...
     
    जीवन ज्योति समाप्त हुई आपकी
    सदा बना रहेगा साहित्य आपका
    जब जब साहित्य पढ़ा जाए आपका
     तब तब संवाद होता रहेगा हमारा आपका
           इसी के साथ भाव पूर्ण श्रद्धांजलि

   लेखक 
मारोती गंगासागरे
नांदेड़ महाराष्ट्र से

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