दीपावली पर हिंदी रचनाएँ
।।दिया जलाओं तम हटाओं।।
दिया जलाओं तम हटाओं, रौशनी घर घर फैलाओं।
गमों का अंधेरा रह न जाए, खुशियों का पहरा लगाओं।
झाँक लेना घर भी उनके,मिट्टी को आकार जो देतें,
सपने उनके मिट्टी से हैं मिट्टी में दुनिया बसे ।
घर हमारे दीप जलें जो उनकी मेहनत से ही आतें,
हम सजाएं दीपमाला चेहरे उनके खिल जाते।
चीनी सामानों को छोड़ों मिट्टी के दीये जलाओं,
संग कुम्हारों के भी अपने त्योहारों की खुशी मनाओं।
चेहरे को मिल जाए सुकून कांपते हाथों को बल ,
कमजोर जो आर्थिक रूप से हम भी बने उनके संबल ।
दीपों कि माला सजाओं, रौशनी दरबार लगाओं
रोते आँसु को हंसाओं रागिनी दिप राग सुनाओं।
दीपावली के पावन पर्व पर खुशियाँ मनाएं भरपूर हम,
महलों की रौनक हो कुटिया, में आओं आज मिटाएं तम।
दिया जलाओं तम हटाओं, रौशनी घर घर फैलाओं,
गमों का अंधेरा रह न जाए, खुशियों का पहरा लगाओं।
बबिता अग्रवाल कँवल
सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल
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दीपाली दिप
ना ईद चांद बिना होली नही है रंग बिना
दिवाली दीप बिना जीवन ना पूर्ण संत बिना
मिलाये ईद बिना चंदा बारह मासा हमे
सजाई दर्गाह चहुं ओर प्रीत रंग भरे
दई बहार प्रभु संग गले मिलाने को
गुलाल उड़ता बहां आसमान लाल भये
ना धरती लोक ना आसमान से भी पार भये
थे अर्शी फर्श पे आकर बनाने अर्शी चले
हरि के नूर का दीपक हर आत्मा मे जले
गुरू के रूप मे गोविंद राह दिखाने चले
किया उजाला चंहुं ओर सुरीली धुनकारें
जिसम में आत्मा सांसे प्रभु के आसरे पे
मन माया सांसों का ना जिसम की हैं
सासें पनाह संत के चरणों का पाक साया मिले
सरिता कटियार सदा बहार
लखनऊ
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देहरी से बाहर
मेरे भीतर है प्रकाश
कुछ कर्म जनित
कुछ धर्मार्जित
श्रीराम-कृष्ण से परिमार्जित
गुरु-बुद्ध-विवेका से सज्जित।
मैं चाह रहा हूँ
आत्मज्ञान के कुछ दीये
फिर अंधकार के बीच धरूँ
अज्ञान हरूँ
कुछ पुण्य करूँ।
अंधकार अज्ञान और आँधी
की जोड़ी
बन सुरसा हर बार
निगल जाती है
सारे दीप
सकल अरमान
उजाले का पावन अभियान।
किंतु उजाले का पौरुष
सुन, थका नहीं है
हारा है, पर रुका नहीं है
अंधकार के सीने पर
घातक निशान कुछ छोड़ा है
माना भीड़ बहुत भारी है गदहों की
किंतु न भूलो
घोड़ा है....वो घोड़ा है
जिसने अँधियारे की आँधी को
कुछ न कुछ तो मोड़ा है
कल अवश्य विजयी होगा
जो आज
तमस के लिए
राह का रोड़ा है।
डॉ अवधेश कुमार अवध
मेघालय 8787573644
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दीपावली
---------- नेतलाल यादव
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आई दीपावली
दीपों का पर्व
अपने देश को
इस पर गर्व
सत्य का असत्य पर
विजय बतलाती है
मिल जुल कर रहना
सिखलाती है
प्रतिवर्ष आती है
दीपावली सबको भाती हैं
नित्य ख्वाब सजते हैं
बच्चों के मन में
खुशियों बाँटती है
दीपावली जन-जन में ।।
नेतलाल यादव
उत्क्रमित उच्च विद्यालय शहरपूरा जमुआ गिरिडीह झारखंड पिन कोड 81 53 12
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दीपावली मनायेगे
अनाथ गरीब बच्चो को।
मिठाई जरूर खिलायेगे।
मिलकर देश बासियो।
दीपावली मनायेगे।
फोडेगे न बम पटाखे।
घर में खुशियाँ लायेगे।
अँधियारे को दूर भगाकर।
दीपावली मनायेगे।
मजहब जाति भुलाकर।
हम हिन्दुस्तानी भाई।
बाटेगे उपहार मिठाई।
दीपावली मनायेगे।
जुआ छोड़कर हम।
नई रीत रोपेगे।
परिवारोको को जोडेगे।
दीपावली मनायेगे।
पूर्वजो की नसीहत।
नाम करेगे रोशन।
याद करेगे उनको।
दीपावली मनायेगे।
घर दीबारो को हम।
मन से खूब सजायेगे।
सवचछ बनायेगे भारत।
दीपावली मनायेगे।
"अमर सिंह एडवोकेट"
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त्यौहार दिबाली
सजे पटाखे आई दिबाली।
दीपो का त्यौहार दिबाली।
गुडिया गुडडा खेल सजावट।
खीलो का त्यौहार दिबाली।
दौज मनाई सब बहिनो ने।
बहिनो का त्यौहार दिबाली।
कुल देबो को याद किया।
देबो का त्यौहार दिबाली।
लौकी बरफ़ी मावा लड्डू।
मीठे का त्यौहार दिबाली।
जुआ खेलते अनपढ़ देखो।
शिझा का त्यौहार दिबाली।
धान काटकर बोया गेहूं।
फसलो का त्यौहार दिबाली।
बाजारों में रौनक लौटी।
धन का ये त्यौहार दिबाली।
"अमर सिंह एडवोकेट"
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©" हर दीये को हौसला मिलता रहे "
🕯️
तूफ़ान में भी हर दिया जलता रहे।
हर दीये को हौसला मिलता रहे।।
🕯️
बिजलीयों की बत्तियां हैं जल रहीं।
मिट्टी का दीपक मगर खिलता रहे।।
🕯️
टोकरी में दीप रख बैठे हैं वो जो।
उनके घर भी दीप वह हंसता रहे।।
🕯️
सबका मुकद्दर एक सा होता नहीं।
अच्छा मंज़र हर जगह दिखता रहे।।
🕯️
पितर,ग्रह हों देवता अनुकूल अपने।
आशीष का वरदान शुभ मिलता रहे।।
🕯️
पंडित अनिल
अहमदनगर महाराष्ट्र
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