बादल चाचा (बाल कविता)

बादल चाचा (बाल कविता)


बादल  चाचा , बादल  चाचा ,
तू हवा  के  साथ  कहां जाता।
बादल चाचा  के  साथ है पानी,
किताब  में पढ़ा हूं  तेरी कहानी।

जब भी तू आता है मनमानी से,
तुझे मैं जाने कहता मेहरबानी से।
बिना काम के कभी आ जाता है तू,
कितने फ़सलों नष्ट कर जाता है तू।

खेत खलिहान  पे दया -दृष्टि रखों,
अपने मनमानी से कभी मत चलों।
तुझ से मानव, दानव दोनों डरते हैं,
जहां तू घूमता है वहां ना हम रहते हैं।


तेरे  बिना  धरा हरी  हो  ना सकती,
फिर धरा में पौधें भरी हो ना सकती।
नहीं सुखार लाएं,नहीं ज्यादा पानी
बादल चाचा तुझे होगा मेहरबानी।
अनुरंजन कुमार "अंचल" 
साहित्यिक नाम -:कुमार अंचल"
     कवि/शायर
      अररिया,बिहार

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