नजर के तीर,,( गजल)

, नजर के तीर,,( गजल) 
इन कजरारी आंखों ने, मुझपे ऐसा वार किया
बच ना सका मैं उस कातिल से, जिसपे मैने इतवार किया
प्यार की ज्योति जलाई मैंने, खुन से सिंचा यह पौधा, 
जब जब पङी जरुरत उसको, सतंभन सौ बार किया
रुह में मैरी सिमट गयी वो, उन यादों की वो घङियां
  लिया पैरों की बन बैठी, जीना मेरा दुश्वार किया
 निंदियाँ ना आती, जिया ना लागे, ऐ कातिल तेरे वो वादे, 
मदन अकेला कहाँ गयी वो, जिससे तुने प्यार किया
   
मदन सुमित्रा सिंघल पत्रकार साहित्यकार शिलचर असम 
मो.9435073653
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     (2) 
, बिजली कहाँ गिरोगी,,( गजल) 
ऐ बिजली तुम कहाँ पे गिरोगी, बतादो हमें हम यहाँ रहते हैं
घनघोर अँधेरा घटाटोप छायी, श्याम वर्ण सी अंधियारी रातें
देती हिलोरें शर्द ऋतु सी, बताओ हमें हम क्यों सहते हैं
खो जाती हो तुम किस दुनिया में, नजर ढुंढती है कहाँ खोई तुम
होती तसल्ली दिदार तेरे, जब जी भर भर देख लेते हैं
तङफाओ ना आओ आगोश में, अरमां हमारे पुरे करो तुम, 
मदन सिंघल ऐ चमक चांदनी अब, आने को हम खुद कहते हैं।
मदन सुमित्रा सिंघल पत्रकार साहित्यकार
शिलचर असम 9435073653
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(3) 
: ,, खुदा की रचना,,( गजल) 
तुम झुम झुम ना चला करो, मेरा दिल पसिजे जाता है
तेरे नैन बङे है कजरारे, मेरा मन मचलता जाता है
यह खुदा की फिदरत मानो, जो इस सांचे में ढाला तुझे
फुर्सत में रचना की तेरी, हर कोई देख हर्षाता है
तुझे नापतोल तैयार किया, जैसे काम ना था उस दिन उसको
स्वर्ग से धरा पर तार दिया, जैसे रोज फुल बर्षाता हो
है कौन नसीबों वाला वो, तेरा गठबंधन होगा रूपा
मदन  सिंघल दिदार तेरे, कोई धन्य पुरुष ही पाता है। 
 
मदन सुमित्रा  सिंघल पत्रकार साहित्यकार
शिलचर असम 9435073653    
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 (4)                     ,,दामिनी,, (गजल) 
मैंने दिल दे दिया है तुझे दामिनी, मुझसे ना ना करने की जुरूत ना कर
मर जाउंगा तेरी चौखट पर, बचालो जिंदगानी खुदा से तु डर
क्यों फिदा है ऐसे बुड्ढे पर, जिसकी दाढी भी लालिमा से भर   ग ई
देखो मेरी मर्दानी, कसरती 
 बदन, मरना है तो जानेमन मुझ पर तु मर
मत तङफाओ ना, आओ आगोश में, चलो जंगल में कुच कर जायेंगे हम
छोड़ दुंगा जगत मैं तुम्हारे लिए, यह बीबी बच्चे, बसा बसाया घर
उम्र कम ना मेरी, कम तुम भी नहीं, चलो तुम्हे कवियित्री बना दुंगा मैं
सिंघल से आशा रखो पुरी, आओ झोली तुम्हारी दुंगा  मैं भर। 

मदन  सुमित्रा सिंघल पत्रकार साहित्यकार
शिलचर असम 9435073653

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