प्रेमचंद पर कविता जीवनी
जीवनी
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उंगलियाँ हर किसी पर ऐसे ना उठाया करो ,
उठाने से पहले खुद कुछ कमाया करो |
मुझें तो हर जीव में भीतर एक भोला इंसान दिखता हैं ,
मुंशी प्रेमचंद का एक सचमुच बृहद एक कथा संसार सा दिखता हैं |
मंदिर में दान खाकर , चिड़िया मस्जिद में पानी पीती हैं ,
और था एक प्रेमचंद जो बच्चों को इदगाह सुनता था |
कभी श्री कृष्ण , की लीला गाता, तो कभी रसखान सुनता था |
बाकियों को दिखते होंगे हिन्दू और मुसलमान ,
मुझें तो हर जीव में भीतर एक भोला इंसान दिखता हैं |
उंगलियाँ हर किसी पर ऐसे ना उठाया करो ,
उठाने से पहले खुद कुछ कमाया करो |
कवयित्री
सुगंधा राजुलाल चाबुकसवार
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