नए पीढ़ी का निर्माण


               लेखक मारोती गंगासागरे

नए पीढ़ी का निर्माण
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  परिवर्तन होना चाहिए और हो भी रहाँ हैं | मगर कहाँ हो रहाँ हैं सिर्फ जिस्म में हो रहाँ हैं | आज कल पढ़े-लिखे लोग भी परिवर्तन शील हुए मगर सिर्फ वह रहन, सहन, खान-पान इन चीजों में ही बदल गए जहाँ बदलना था वहाँ तो नही... स्कूल , कॉलेज की शिक्षा को हमने सिर्फ परीक्षा तक ही सिमित रखा हैं | उस शिक्षा में जो मूल्य थे वह हमने कहाँ अपनाए ? मैं और यह भी बताना चाहता हूँ कि शिक्षा का फायदा सिर्फ नौकरी ही नही समाज मे अच्छा हमारा बर्ताव तथा घर मे भी हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए यह भी बात जहन में आयी तो भी हमारे शिक्षा का फायदा हुआँ समझिए |
         बहूत से लड़के लडकियाँ कॉलेज के जीवन मे प्रेम कर बैठते हैं | कहाँ जाएँ तो प्रेम करना गलत नही यह एक अवस्था हैं और इसमे यदी आप प्रकृति नियम अपनाते हैं तो लाजवाब अनुभव मिलते हैं | मगर प्रेम को आज के युवाओं ने सिर्फ शारीरिक सुख एक भोग विलास यही समझा हैं | यदी प्रेम हो जाएँ   तो होने दीजिए 
दोनों तरफ से निभाने का प्रयास कीजिए और शादी भी कीजिए | आधुनिकता में पढ़े-लिखे युवा प्रेम तो करते हैं मगर निभा नही पाते क्यों कि वह कैसे एक उदाहरण के माध्यम से समझाने की कोशिश करता हूँ जैसे- एक लड़का अपनी प्रियसी से कहता हैं कि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं हमे पढ़ाई करके अच्छी नौकरी तथा उपजीविका का साधन निर्माण कर हमें शादी करनी चाहिए | तो लड़की कहती हैं कि यह नही हो सकता क्यों कि हमारी जाती अलग हैं |
       यहाँ जाती अलग  हैं कोई बात नही मगर यह दोनों पढ़े -लिखे हैं और दोनों भी खुद की मर्जी से शादी करना चाहते हैं मगर बिछ में जो जाती नामक दीवार हैं और  इस दीवार को दोनों ने मिलकर गिरना होगा वही शिक्षा के बल पर संविधानिक नियमों के नुसार इंटर काष्ट मैरज कर सकते हैं और यह कोई अपराध नही यह बात दुसरो के नही खुद के मन में निर्माण करनी होगी कहने का मतलब हैं कि दूसरों को बदल ने से पहले खुद बदल जाओ और यह भी क्यों कि समाज सबूत माँगता हैं तो खुद सबूत बन जाओ 
जब अब कोई अच्छा कार्य करोगे तो भी लोग आपको नाम रखेंगे , टोकेंगे और बुरा करेंगे तब  भी ...| लोग क्या कहेंगे यह बीमारी हर इंसान के अंदर होती हैं और इस बीमारी का इलाज खुद के पास है वही शिक्षा ने दिया हैं तो इस बीमारी का त्याग कर  जाती-पाती , रूढ़ि-परंपरा इस जाल में फँसकर प्रेम का रिश्ता कभी तोड़ना नही चाहिए क्यों कि समस्या हैं तो हाल भी हैं बस दोनों को समझना जरूरी हैं |
        जब आपका प्रेमी या प्रियसी कहती या कहता हैं कि हम उपजीविका का साधन निर्माण कर या नौकरी हासिल कर हम शादी करेंगे तो ऐसे रिश्ते को जाती के नाम पर मत तोड़ो यहाँ भारतीय संविधान आपकी मदद करेगा यह बात याद करो और शिक्षा के बल पर रिश्ते भी निभाने का हुनर आता हैं | 
      यहाँ और एक सवाल खड़ा होता हैं कि घर का मान सन्मान हैं तो हम कैसे ऐसे बहूत से सवाल सामने आते हैं मगर प्रेम यदी किया हैं तो उसे केवल एक वासना की रुप में मत देखों उस मासूम से रिश्ते को आगे बढ़ाओ आपके प्रेम को एक महत्वपूर्ण अर्थ प्राप्त होना चाहिए और यह दोनों के हाथ मे हैं यदी एक तरफ से कमजोर है रिश्ता तो जो शक्तिशाली हैं उस साइट ने दुसरी साइट को समझाना होगा और यह भी याद रखो की जीवन मे असंभव कुछ भी नही जैसा किसी प्रतियोगी परीक्षा के लिए मेहनत करते हो वैसा भी प्यार भरा रिश्ता बनाने में मेहनत करो |
        शादी एक बंधन हैं और यह बंधन मन पसंद व्यक्ति के साथ बढ़ जाएँ तो जीवन मे चार चाँद लग जाते हैं | कहना इतना ही हैं कि प्रेम किया हैं तो जाती-पाती , पंरपरा इन सभी बातों को भूलकर प्रेम विवाह करो और नए पीढ़ी निर्माण करो जब जब तक शिक्षा के द्वारा सर्वगुण संपन्न हो जाओगे तो समाज भी बदल जाएगा...
     अतः में इतना ही कहना चाहता हूँ कि
जाती-पाती सब त्यागकर 
स्त्री-पुरूष जाती मानेंगे
प्रेम विवाह करके हम
संविधान को न्याय दिलाएंगे
   मारोती गंगासागरे
   नांदेड़ महाराष्ट्र से

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