मंगलमय हो नववर्ष उनके लिए भी



शीर्षक - मंगलमय हो नववर्ष उनके लिए भी 

घुट - घुटकर जो जीते हैं ,
विष अश्रुओं का पीते हैं ,
नहीं खोलते हैं हृदय अपना ,
उधड़न पीड़ाओं की ख़ुद ही सीते हैं ,
मंगलमय हो नववर्ष उनके लिए भी ।

दंश कटु वचनों का जो सहते हैं ,
अलग होकर समाज से रहते हैं ,
ठण्डी रखते हैं आग मन की ,
किसी से व्यथा न अपनी कहते हैं ,
मंगलमय हो नववर्ष उनके लिए भी ।

ठोकरें दर - दर की जो खाते हैं ,
मूल्य निज आदर्शों की चुकाते हैं ,
श्रेष्ठ होकर भी हेय हैं जो सबकी दृष्टि में ,
अपयश , अपमान ही सबसे पाते हैं ,
मंगलमय हो नववर्ष उनके लिए भी ।

जो निर्बल हैं , दीन - हीन हैं ,
बंधु - बांधव , सहचर विहीन हैं ,
कर्तव्यों के हृदय पर भार हैं जो ,
कीच युग की , वेदना - मलिन हैं ,
मंगलमय हो नववर्ष उनके लिए भी ।

मुँह फेर चुके हैं जिनसे जगदीश ,
झुका रहता है हमेशा जिनका शीश ,
नहीं गले से जिनको लगाता है कोई ,
नहीं शीश पर हाथ रख देता है आशीष ,
मंगलमय हो नववर्ष उनके लिए भी ।
             

             -  मुकेश शर्मा 
                 कुशीनगर , उत्तर प्रदेश 

        

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