सियाराम

हे शक्ति पुंज!हे पूर्णकाम हे अविनाशी,घट घट वासी तुम सदय विराजो सियाराम। हे कृपासिंधु!हे करुणाकर, हे जगत नियंता दीनबंधु बस जाए हम सबके हृदयों में पावन पुनीत तव छवि ललाम। जग संचालित हो तुमसे ही जग प्रतिपालित हो तुमसे ही तुम सदय विराजो सियाराम। निज ज्वाल भरो हम सबमें तुम यह विश्व प्रदीपित हो जिससे तम रह न सके इस वसुधा पर फैले प्रकाश जय सियाराम तुम सदय विराजो सियाराम। स्वरचित, मौलिक डॉ मधु पाठक राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जौनपुर, उत्तर प्रदेश।