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Love poem monwart

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मारोती गंगासागरे    कोई तो बात होगी तभी रखा है तुमने मौन व्रत      यूही ऐसे कभी नही रखती      किस खुशी मे रखा है       तुमने यह मौन व्रत क्या मुझे बता पाओगी पता है व्रत टूट जाएगा तो इशारो मे समझाओगी क्यों रखा है तुमने मौन व्रत        क्या बता पाओगी         मै भी यह मौन व्रत रखू क्या ?        तुम्हारे खुशी मे शामिल होने के लिए       तुम्हारे नि:शब्द कथनो मे       मेरे शब्द कथित करने के लिए       मै भी रखू क्या मौन व्रत...

Love story paheli bar

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      पहेली बार, लेखन मारोती गंगासागरे                              मेरे जिंदगी के विस साल बित चूँके है | मै नांदेड शहर के सबसे बड़े यशवंत महाविद्यालय मे बी ए  lll year     मेरे जिंदगी के विस साल बित चूँके है | मै नांदेड शहर के सबसे बड़े यशवंत महाविद्यालय मे बी ए  lll year था , मेरे कॉलेज मे बहूत से दोस्त और सहेलियॉ भी थी | हम सब मिलजुलकर रहते थे | हम सभी की परीक्षाऐ  हो चूँकी थी  गर्मीयों कि छुट्चीयॉ  थी | और हम सब एक - दूसरे से दूर जा रहे थे | तो मै भी मेरे गॉव आया मगर  मन मे हमेशा बेचैनी और उदासी रहती थी | क्यों कि मुझे मेरे क्लास की वह भोलिसी सुरत याद आ रही थी | जिसे देखकर मैने खुद को पहचान लिया था | बाते तो हो रही थी, मगर पहले से कम, तो मैने उसे एक दिन कॉल किया और मिलनेका आमंञण दिया, तो उसने भी गिडगिडाते स्वर मे , " क्यों किस लिए मिलना है, अभी तो बात हुयी| ", " देखों वैसा नही तुम जो सोचती हों... पर पता नही क्यों तूम्हें देखने को दिल करता है , आ जाओं ना....

क्या करोगे

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जब सें शुरू हुयी है जिंदगानी तब सें ऑखों मेरे पानी अब तुम ही बताओं सुनकर क्या करोगें मेरी कहानी        जिसके साथ किया था      शुरू सफर जिंदगी का      वही छोड चला दूनीयॉ दारी      अब तुम ही बताओं कैसें बताऊँ मैं मेरी कहानी बताऊँ तों  ऑखों में पानी आ जाता इंन्कार करूँ तों तूम रूठ जातें सुनकर थोडी सी इंन्सानीयत ही दिखाओगें ,बोलों और क्या करोगें                              मारोती गंगासागरे..