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मार्च, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बोलती दिवारे...

सुना-सुना सा... वह मकान जहॉ मैं बेचैन होकें बैठा था?        बोलती थी वह        सुनी कमरों की        सुनी सी दिवारें       एक दूसरें कों       मजें में दर्द बताती मैं भी सुनता उसके साथ बेचैन बनता वह मूझे अपना दर्द सुनाती मैं भी सुनकर उसें बताता मेरी बेचैनी मैं भी सुनाता             काश यह दिवारे सुनती            तो मैं भी मेरी कहानी सुनाता           पर लगता है बेजान होकर भी           जान है, दिवारो में इसीलिए मैं उसकी बेचैनी समझ पाया,और कहेने लगा बोलती है सुनी दिवारे....

क्या तूम जानती हो...

    मारोती गंगासागरे क्या तुम जानती हो कही  धुप है तो कही छॉव है कोयी तुम्हारे बेतरार मै जानता हूँ तुम्हारी बेचैनी  समझता हूँ तुम्हारी देह बोली  क्या मेरी तरहॉ तूम भी समझ सकती हो... बोलो ना क्या तुम जानती हो.. .

कितने दिनों कें बाद

मौसम नें मौसम सें मिलवायॉ  💐💐💐💐   वहॉ क्या आदा दिखलायी   न जानें कितनें दिनों कें बाद   आज ओ कली सामनें आयी...               कहॉ छूप गयी थी               इन बहारों कें बिछ मे               यूही अचानक आज               कुहरों सें मिलनें हरें पत्तोसे बहार आयी तभी मेरी जनर में ओ फसं गयी देखकर उसें मन डोल उटा ओं भी हल्की सी मुस्कायी       दोनें नें एक दूसरें को       बहूत दिनों कें       बाद आज  ऑख मिलायी...       न जानें कितनें दिनों बाद      वह कोमल सी आदा     दिखलाकर शर्मायी...                     मारोती गंगासागरे....👍👍

कितने दिनों कें बाद...

लेखक मारोती गंगासागरे काफी दिनों से कुछ अलग सा महेसुस हो रहॉ था | दिन को चैन और रात में सुकून से भरी निंद का स्वाद कितने दिनो से मिल ही नही पाया, धुंडने की कोशिष की पर कुछ हासील नही हुऑ | फिर मैं सोच मे डुब गई की ऐसा क्यों हो रहॉ है | पुरा एक दिन सोच - सोचकर बितायॉ मेरा चैन सुकून मिल जाऐ यही एक आशा से फिर भी कुछ हालात सुधरे नही, दिनों - दिन स्थिती और मेरी समस्या बढती गई | क्या करँ ? कुछ भी नही पता ऐसा क्यो हो रहॉ | इन सारी परेशानियों से पढाई पर पानी बहने लगा, मैं तंग होकर खुद से ही कहने लगी, " अखिर वजा क्या है ? हाल निकालनेसे नही निकलता ऐसा क्यो..." परेशान होकर रोने लगी, और जबरदस्ती सें सो गई|           एक दिन इतना टेंशन बढ गया की मैंने मेरी सारी परेशानी सहेली को बताई, ओं भी सुनकर जरा सा हँसकर कहने लगी ," इसमे मैं क्या करुँ... खुद ही सोचले | " मैने काफी सोच कर इसे मेरा हाल बतायॉ मगर इसने भी मुझें ही... अचानक सहेली गिडगिडाते स्वर मे बोली , " ऐ सुन तुझे जो लडका बात करता था , क्या ओ सिलसीला शुरू है |"    उसका यह वाक्य सुनकर माथे पर पसिना आगया और प...

क्या समझू मै...

क्या समझूँ मै तेरे मौन को          क्यो चेहरे की हँसी चली गयी         मूझे देखकर तू क्यो उदास हो गयी         क्या समझू मै तेरे इस उदासी को               मेरे मन की बे चैनी बढ रही है               दिल धडकने तेज हो रही है               क्यो नही देख सकतीतू इस धडकनों को               क्या समझु मै तेरे इस बँद आँखो को         बोलते नही तेरे          यह खामोश होट           फिर भी सुनाते है ऑखे           क्या समझू मै तेरे इस           ऑखो को...                     बोलो खामोश क्यो हो                     क्या हो गया मूझे भी समझाओ          ...