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मन्नू भंडारी जी को श्रद्धांजलि

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                                मन्नू भंडारी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि                💐💐💐💐                                      हिंदी साहित्य जगत में बहुत से कालजयी रचनाएँ हैं | उनमें आपका बंटी यह कृति आज वर्तमान में आधुनिकता कारण हो रहे परिवार विघटन का चित्रण करने वाली कृति हैं | माता का घर मे झगड़ा , तनाव और इसका बच्चों पर होने वाला परिणाम आज भी यह समस्या बड़े पैमाने में देखने को मिलती हैं |           कोई भी साहित्यिक कृति किसी भी काल मे प्रासंगिक लगती हैं तो मुझें लगता हैं कि वह कृतिकार ही कालजयी हैं रचना नही ऐसी बात मन्नू  भंडारी जी पर बैठ सकती हैं क्यों कि उन्होंने तत्कालीन समय लिखा साहित्य आज हम पढ़ते हैं तो लगता हैं कि यह तो आज का चित्रण हैं | मेरे पड़ोस का ही नायक हैं इतना ही नही तो कही कहि लगता हैं कि अरे यह तो मेरा आज ...

दीपावली पर हिंदी रचनाएँ

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।।दिया जलाओं तम हटाओं।। दिया जलाओं तम हटाओं, रौशनी घर घर फैलाओं। गमों का अंधेरा रह न जाए, खुशियों का पहरा लगाओं। झाँक लेना घर भी उनके,मिट्टी को आकार जो देतें, सपने उनके मिट्टी से हैं मिट्टी में दुनिया बसे । घर हमारे दीप जलें जो उनकी मेहनत से ही आतें, हम सजाएं दीपमाला चेहरे उनके खिल जाते। चीनी सामानों को छोड़ों मिट्टी के दीये जलाओं, संग कुम्हारों के भी अपने त्योहारों की खुशी मनाओं। चेहरे को मिल जाए सुकून कांपते हाथों को बल , कमजोर जो आर्थिक रूप से हम भी बने उनके संबल । दीपों कि माला सजाओं, रौशनी दरबार लगाओं रोते आँसु को हंसाओं रागिनी दिप राग सुनाओं। दीपावली के पावन पर्व पर खुशियाँ मनाएं भरपूर हम, महलों की रौनक हो कुटिया, में आओं आज मिटाएं तम। दिया जलाओं तम हटाओं, रौशनी घर घर फैलाओं, गमों का अंधेरा रह न जाए, खुशियों का पहरा लगाओं। बबिता अग्रवाल कँवल सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल ---------------- -------- -- ---- -------------------/---------      दीपाली दिप ना ईद चांद बिना होली नही है रंग बिना  दिवाली दीप बिना जीवन ना पूर्ण संत बिना  मिलाये ईद बिन...