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श्रद्धेय विनायक दामोदर सावरकर

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श्रद्धेय विनायक दामोदर सावरकर यह एक व्यक्ति मात्र नहीं, एक संस्था मात्र नहीं अपितु एक अक्षय विचारधारा का नाम है। वह विचारधारा जो गुलामी की स्याह कारा में रहकर भी आजादी का लौ जला सकती है। वह विचारधारा को गुरुगोविन्द सिंह की तरह अपने समस्त परिजनों को बलिवेदी के निमित्त न्यौछावर कर सकती है। वह विचारधारा जो उस भविष्य के चलचित्र को देख सकती है जिसे जनसाधारण की नंगी आँखें कभी देख नहीं पातीं। विश्वविद्यालयी डिग्रियों से निर्मित विवेक कभी समझ नहीं पाते।  वीर सावरकर का सबसे स्तुत्य कार्य रहा 1857 के संग्राम को *प्रथम स्वातन्त्र्य समर* नाम देना। यह दुनिया की वह पुस्तक है जो छपने से पहले ही प्रतिबंधित कर दी गई थी। यह जलवा रहा सावरकर जी की लेखनी का। आज यह पुस्तक विश्व की कई भाषाओं में उपलब्ध है जबकि प्रकाशन के समय समस्त ब्रितानी हुकूमत ने समस्त अंग्रेजी, हिंदी और मराठी प्रेसों को बंद करा दिया था। लाल लट्टुओं का मानना था कि सावरकर जी कि पुस्तक इन तीन भाषाओं में ही निकल सकती है। हकीकत यह है कि उस समय के तमाम क्रान्तिकारियों ने अलग अलग भाषाओं में अनुवाद करके प्रकाशन का बीड़ा उठा लिया था।  इस ...

नए पीढ़ी का निर्माण

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                लेखक मारोती गंगासागरे नए पीढ़ी का निर्माण -------------------------------------   परिवर्तन होना चाहिए और हो भी रहाँ हैं | मगर कहाँ हो रहाँ हैं सिर्फ जिस्म में हो रहाँ हैं | आज कल पढ़े-लिखे लोग भी परिवर्तन शील हुए मगर सिर्फ वह रहन, सहन, खान-पान इन चीजों में ही बदल गए जहाँ बदलना था वहाँ तो नही... स्कूल , कॉलेज की शिक्षा को हमने सिर्फ परीक्षा तक ही सिमित रखा हैं | उस शिक्षा में जो मूल्य थे वह हमने कहाँ अपनाए ? मैं और यह भी बताना चाहता हूँ कि शिक्षा का फायदा सिर्फ नौकरी ही नही समाज मे अच्छा हमारा बर्ताव तथा घर मे भी हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए यह भी बात जहन में आयी तो भी हमारे शिक्षा का फायदा हुआँ समझिए |          बहूत से लड़के लडकियाँ कॉलेज के जीवन मे प्रेम कर बैठते हैं | कहाँ जाएँ तो प्रेम करना गलत नही यह एक अवस्था हैं और इसमे यदी आप प्रकृति नियम अपनाते हैं तो लाजवाब अनुभव मिलते हैं | मगर प्रेम को आज के युवाओं ने सिर्फ शारीरिक सुख एक भोग विलास यही समझा हैं | यदी प्रेम हो जाएँ   तो हो...

हिंदी भाषा का प्रसार प्रचार

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हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं विकास हिन्दी भाषा लगभग 5००० साल पुरानी है।अमीर खुसरो ने सबसे पहले इस भाषा को हिंदी नाम दिया, ऐसा माना जाता है। सिंघू नदी के किनारे बसी मानव सभ्यता भारत की सभ्यता है। सिंधू नाम इरान जा कर अपभ्रंश हो कर हिंदी   पुकारा गया। चीन की भाषा मेडेमिन सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है,इस के बाद नम्बर आता है हिंदी भाषा का जिसे लगभग ७० करोड़ लोग बोलते समझते हैं। हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है। फिर भी हिंदी को राष्ट्रभाषा जैसा सम्मान नहीं मिला है। भारत में भी अंग्रेजी भाषा बोलने समझने वाले ‌नागरिक को ज्यादा सम्मान मिलता है,आमतैर पर। भाषा आदमी सीखता है नोकरी धंन्धे हेतू सामान्य तौर पर।कम्पूटर ओर नेट के जमाने में अंग्रेजी भाषा बोलने समझने वाले ‌नागरिक को ज्यादा अवसर रोजी-रोटी हेतु। इसलिए भी हिंदी पिछड़ रही है। अदालत में भी जिक्र अंग्रेजी में होती है बड़ी अदालत में।फैसले भी अंग्रेजी में लिखे जाते हैं। भारत सरकार को हिंदी में बड़ी अदालत में जिरह हौ, फैसले हिन्दी में लिखे जाये ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। हिंदी भाषा का विस्तार रोज हो जैसा अंग्रेजी के लिए ओकस्फोड युनिवर्...