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जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बहुत प्यार करते हैं तुमको

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बहुत प्यार करते हैं तुमको  गलती का इकरार है हमको  पर अनसुलझा सा राज ना होना  तुम हमसे नाराज ना होना। हां तुमको हमने बहुत सताया जो वादा करके नहीं निभाया  पर जो मिल ना सके वो ताज ना होना  तुम हमसे नाराज ना होना मान जाओ ना मेरी सोना  नहीं चाहते तुम को खोना अब कोई बिगड़ा सा काज ना होना तुम हमसे नाराज ना होना। आओ मिलकर साथ चले अब संग में हर एक शाम ढले  कल तक जो थे वो आज ना होना तुम हमसे नाराज ना होना               ✍️दीपक वर्मा✍️               9453502658

रोये बाबूजी

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                                     हिंदी साहित्य को समर्पित पत्रिका                                   मेरी रचना रोये बाबूजी कभी बैठकर कभी लेटकर चल कर रोये बाबू जी, घर की छत पर बैठ अकेले जमकर रोये बाबू जी। अपनों का व्यवहार बुढ़ापे में गैरों सा लगता है, इसी बात को मन ही मन में कह कर रोये बाबू जी। बहुत दिनों के बाद शहर से जब बेटा घर को आया, उसे देख कर खुश हो करके हॅस कर रोये बाबू जी। नाती-पोते बीबी-बच्चे जब-जब उनसे दूर हुये, अश्कों के गहरे सागर में बहकर रोये बाबू जी। जीवन भर की करम-कमाई जब उनकी बेकार हुई, पछतावे की ज्वाला में तब दहकर रोये बाबू जी। शक्तिहीन हो गये और जब अपनों ने ठुकराया तो, पीड़ा और घुटन को तब-तब सहकर रोये बाबू जी ग़ज़लकार .डॉ अशोक गुलशन

इस साल ऐसी होनी चाहिए शिक्षा

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आज कोविड 19 का शिकार सारा विश्व हो गया हैं और इस पर प्रतिबंध करने के लिए लॉगड़ाऊं यह एक ही सबसे अच्छा और बढियाँ नुक्सा आजमाया जा रहाँ हैं | यह कोविड 19 से बचने का इलाज हैं मगर सरकार और जनता के सामने सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि इस साल का शैशिक वर्ष किस तरह प्रारंभ किया जाऍ और वैज्ञानिकों का मानना हैं कि की कोरोना छोटे बच्चो जल्दी ही घेर लेता हैं | इसी परेशानी को देखते इस इस साल के शैशिक वर्ष में कुछ बदलाव करना अनिवार्य हैं क्यों कि एक तरफ हमे जिंदगी भी जीनी हैं और दुसरी तरफ कोरोना से भी लढना हैं | इस बात को देखते हुए मेरे विचार से इस साल का शैशिक वर्ष इस प्रकार होना चाहिए...| 1) इस काल मे जो छोटे शिक्षाअर्थी उन्हें घर पर ही ऑनलाइन शिक्षा दी जाए जिन के पास ऑनलाईन के लिए कुछ साधन नही वह उन्हें उपलब्ध कराए जाएं तथा जब तक कोरोना खत्म नही होगा तब तक स्कूल बंद रखे जाए क्यों कि इन बच्चों को क्यों अपनाए औऱ क्यों नही इस कि सोच नही होती और इस जरिए ऑनलाईन का एक अच्छा उपयोग भी होगा और बच्चों नया और ऑनलाईन के जरिए पढ़ाई करने में उनमें रोचकता और भी बढ़ेगी क्यों कि ऑनलाईन के प्यार में सभी खो गए हैं |   ...

धरती का मिलन प्रेम कविता

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                      कवि मारोती गंगासागरे काले-काले बादल छाँऐ धरतीने मिलन गीत गाऐ हवा ने सरगम छेड़ दी हैं पेड़ पौधे झूम उठे...| तप-तपके घायल धरा हुई थी नभ के विरह में जलने लगी थी आज पूरी हुई ओ तपस्या नभ आए जल रूपी मिलने...| धरा ने बूँद-बूँद को अंतर मन मे समाया मिलन की दुगनी खुशी दिखाई ओ यौवन से सजने लगी थी ...|       

पर्यावरण पर निबंध और लेख

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          इंजिन सर्वात मूल्यवान खजाना स्वत: चे शरीर आहे ही काळजी घेणे ही कर्तव्ये आहेत आजच्या घटनेत इंसान दशलक्ष लेन्सची जिंदगी चांगली जीनेसाठी मोठ्या-मोठ्या हस्पतालोमध्ये खर्च झाली आहे. पुन्हा एकदा असा कोणताही फायदा होणार नाही आणि दररोज उपभोक्ता उपचार घ्या       मगर जिंदगी वेल आणि निरोगी जीनसाठी पर्यावरणविषयक आम्ही मदत करतो मागर हम भी संरक्षण दे रहे हैं और यह हमारे कर्तव्य है कि जीन के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानवायु है, यह हमारे जीवन से पर्यावरणीय है, लेकिन फिर भी हमने अपने स्वार्थ के लिए प्रयोग किया है, जीने की स्थिति है और अब यह धारा है। जितना ही आम्ही जिंदगी जीने आवश्यक आहेत ते आता उतरू शकणार नाहीत - भगवंताची समाप्ती झाल्यावर कगारवर आहेत |          जसे आम्ही आपल्या शरीरावर सर्वात मोठे स्वत: चे खजाना मानतो विशाल खजानेच्या सुरक्षिततेसाठी पर्यावरणाची योग्यता असणे आवश्यक आहे प्रत्येक गोष्ट मानवजातीसाठी चांगली नाही हिंदुत्त्वानेही आता बार्शी पर्यावरणातील आवश्यक वस्तूंचे निरीक्षण करणे आता आपल्या हातांनी बनवावे     ...