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भगतसिंह को श्रद्धांजलि

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छोटी सी उर्म थी हँसने खेलने के दिन थे देखकर गुलामी का बंधन खून खोल उठा था       अपने ही बल पर       ओ पराया राज       करता था तभी एक आग सुलगी भगतसिंह नामक तारा चमका दुश्मनों के घर जाकर दुश्मनों को पानी पिलाया वह भगतसिंह महान था         नेक काम देखकर         दुश्मन ने साजिश की         पकड़ कर वीर को         फाँसी दी... ऐसे वीर को भावपूर्ण श्रधंजलि कवि मारोती गंगासागरे        नांदेड़ महाराष्ट्र से        8411895350

प्रेम कविता भावनाओं से एक हम

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प्रेम कविता  भावनाओं से एक हम                     मारोती गंगासागरे         हे तन से दूरियाँ भावनाओं से एकहे तन से दूरियाँ भावनाओं से एक हे भले ही हम मौन में मगर भावनाओं से जुड़े हुए है एक         राह की बंदनो में बंदे है हम         दुसरो के खातिर दिल की         खुशियों को दबाके रखने वाले है हम          अन देखा करके भी भावनाओं में देखते है हम कितनी अजीब दास्ता है देखने मे तो दूरियाँ है होती भी नही अब बात भी यह कॉल भी लगता नही है फिर भी भावनाओ का मेल मिला हुआँ है कहि पर तू याद करती हैं मुझे मैं भी याद करता हूँ तुझे यह भावनाएं बताती है मुझे         

अनोखा नांदेड़ शहर

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अनोखा शहर       कवि मारोती गंगासागरे आस-पास के शहर में नांदेड़ की हैं , कुछ खास शान अलग है यहाँ का व्यवहार प्यार तो प्यार है, दुश्मनो के लिए बेहाल हैं          यहाँ बहेती है नदी गोदावरी          विराज मान है तट पर हुजूर साहेब जी          साथ ही हैं अनेक देवताओं का वास          पर्यटन स्थल गया है यह विश्व का आज यही नांदेड़ शहर बना है जन्म स्थान यह तो यह है शिक्षा के लिए भी लाजवाब है यहाँ गुरुवर्य, साहित्यिक महान संत हो गऐ यहाँ के कुछ वीर जवान शहीद हो गऐ            इसी तरहाँ यहाँ कि गलियाँ अनोखी बन गई साथ ही           यहाँ का रेल्वे स्थानक, बस स्थानक महान कहलाता है           सुरक्षा भी बेमिसाल है, युवा भी लाजवाब है           ऐसा ही नांदेड़ अनोखा शहर हैं

होली का बहाना हैं holi ka bhana hai

मारोती गंगासागरे  होली का बहाना हैं आओ चलो मिलले होली का बहाना है मिलकर रंग गुलाल उड़ाएँगे द्वेष, कलेश मिटाएंगे जाती - पाती नष्ट कर एकता के रंग में रंग जाएँगे प्रेम रंग बरसाकर मानवता धर्म सजाएँगे आओ चलो मिलले होली का बहाना है इसी बहाने खत्म हो जाएगी दिल से दिल की दूरियाँ नैन तृप्त हो जाएंगे देख तुम्हारी सरोज छवि आओ चलो मिलके प्रेम रंग बरसाएंगे ,नया अनोखा गुलाल उड़ाकर एकता में मिल जाएंगे... इस पावन होली की आग में सभी नीतियाँ जलाएँगे ना हो आज से कोई जाती ना हो आज से कोई अलग चलो आज हम मिलकर दुनियाँ को एकता का संदेश दिकगाएँगे आओ अब तो बहुत हो गया है हाथ मे हाथ मिलाएँगे प्रेम रंग क्या है यह यह मिलकर सबको बताएंगे आओ चलो मिलले होली का बहाना है