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माँ पर कविता कुछ औलादें

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एक माँ के ख़्वाबों का क़त्ल कर देती हैं कुछ औलादें ****************** एक माँ के लाडले होने का फ़र्ज़ भला तुम निभाओगे कैसे !  माँ की ज़िंदगी के रंज-ओ-ग़म का तुम्हें कुछ एहसास ही नहीं !!  ****************** एक माँ के ख़्वाबों का क़त्ल कर देती हैं कुछ औलादें ! ऐसे औलादों से भला माँ की रूह को सुकूँ मिले तो कैसे !! ****************** तमाम बेदनाएं सहती हुई एक माँ बेटे के सामने मुस्कुराती है !  ताउम्र शायद ही बेटे को माँ के ग़मों का अंदाज़ा लग पाए !! ****************** समझो तो माँ ही ज़िंदगी की अनमोल दौलत है ! वरना माँ तो माँ है तुमसे शिकायत करेगी कैसे !! ****************** माँ को ताने दे - दे उसे चोट पहुँचाते रहो तुम ! एक नालायक बेटे को हक़ है ताने सुनाने का !! ****************** माँ का कर्ज़ बेटे से कभी अदा हो नहीं सकता ! हाँ मगर माँ की बात मानते रहो यही काफी है !!  ****************** माँ को भी अपने बेटे पर नाज़ करने का हक़ है ! बेहतर से बेहतर कर यह हक़ अदा कर दो तुम !!      ************** तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच  संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्र...