प्रेमचंद पर कविता जीवनी

जीवनी ==================== उंगलियाँ हर किसी पर ऐसे ना उठाया करो , उठाने से पहले खुद कुछ कमाया करो | मुझें तो हर जीव में भीतर एक भोला इंसान दिखता हैं , मुंशी प्रेमचंद का एक सचमुच बृहद एक कथा संसार सा दिखता हैं | मंदिर में दान खाकर , चिड़िया मस्जिद में पानी पीती हैं , और था एक प्रेमचंद जो बच्चों को इदगाह सुनता था | कभी श्री कृष्ण , की लीला गाता, तो कभी रसखान सुनता था | बाकियों को दिखते होंगे हिन्दू और मुसलमान , मुझें तो हर जीव में भीतर एक भोला इंसान दिखता हैं | उंगलियाँ हर किसी पर ऐसे ना उठाया करो , उठाने से पहले खुद कुछ कमाया करो | कवयित्री सुगंधा राजुलाल चाबुकसवार