कुरु वंश चरित्रम(नूतन भारत का महाभारत)

शीर्षक - कुरु वंश चरित्रम (नूतन भारत का महाभारत) भारत में गांधारी- धृतराष्ट्र सुतों के ,प्राण अभी हैं सूख रहे सभी जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली, जैसे हैं तड़प रहे सत्ता बिन उनकेे दिन , निशा अमावस से बीत रहे किसान नाम पर दलाली का , खेल घृणित खेल रहे सभी सेक्युलर बामपंथी, राष्ट्रवाद के उत्थान से झुलस रहे किसान के कंधे पर रख कर बंदूक , राष्ट्र प्रतीकों पर चला रहे अनंत विनाशी महागठबंधन घट वासी , गरिमा देश की घटा रहे देश द्रोह भ्रम का जीवन जिन्हें सुहाता ,वे सदा वास प्रवासी किये रहे सता रहा डर हाय कुर्सी मिलेगी कब? अश्रु नयनों के सूख रहे लूट के सारे स्रोत बंद हो गये , रक्त शिराओं के सूख रहे सत्ता बिन संकट में हैं भारी , त्राहि-त्राहि अब पुकार रहे पूरी कर दो मुराद हमारी ,दे कर अभय उबारो हम कराह रहे किसान नाम पर राष्ट्र विरोधी नेताओं और दलालों की चालें सभी समझ रहे सुधारों की उन्हें दरकार नहीं , कानून हटाने की ज़िद भी सभी जन समझ रहे यह धारा 370, सी. ए. ए. हटवाने की रिहर्सल है, सभी समझ रहे जनसंख्या नियंत्रण समान नागरिक संहिता जैसे कठोर कानून न लाये , सरकार को हैं डरा रहे द...