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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कुरु वंश चरित्रम(नूतन भारत का महाभारत)

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शीर्षक -   कुरु वंश चरित्रम (नूतन भारत का महाभारत) भारत में गांधारी- धृतराष्ट्र सुतों के ,प्राण अभी हैं सूख रहे सभी जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली, जैसे हैं तड़प रहे सत्ता बिन उनकेे दिन , निशा अमावस से बीत रहे किसान नाम पर दलाली का , खेल घृणित खेल रहे सभी सेक्युलर बामपंथी, राष्ट्रवाद के उत्थान से झुलस रहे किसान के कंधे पर रख कर बंदूक , राष्ट्र प्रतीकों पर चला रहे  अनंत विनाशी महागठबंधन घट वासी , गरिमा देश की घटा रहे   देश द्रोह भ्रम का जीवन जिन्हें सुहाता ,वे सदा वास प्रवासी किये रहे सता रहा डर हाय कुर्सी मिलेगी कब? अश्रु नयनों के सूख रहे लूट के सारे स्रोत बंद हो गये , रक्त शिराओं के सूख रहे सत्ता बिन संकट में हैं भारी , त्राहि-त्राहि अब पुकार रहे पूरी कर दो मुराद हमारी ,दे कर अभय उबारो हम कराह रहे किसान नाम पर राष्ट्र विरोधी नेताओं और दलालों की चालें सभी समझ रहे सुधारों की उन्हें दरकार नहीं , कानून हटाने की ज़िद भी सभी जन समझ रहे यह धारा 370, सी. ए. ए. हटवाने की रिहर्सल है, सभी समझ रहे जनसंख्या नियंत्रण समान नागरिक संहिता जैसे कठोर कानून न लाये , सरकार को हैं डरा रहे द...

नवजात शिशु

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नवजात शिशु हूं हां मैं नवजात शिशु जन्मा हूं अभी जान गया गलत जगह आ पहुंचा हूं दुनिया गलत जगह हैं यार यही सोचकर दहाड़े मार लो पड़ा जोर से नवजात शिशु यारो  दोस्त रिश्तेदारों जन्मते ही जान गया दुनिया बहुत बुरी नवजात शिशु रो रहा सब हंस रहे हाय औरत ने नवजात शिशु को बहलाया  मां ने कहा मै हुना तेरी खिदमत में बच्चा  भूख लगेगी दुध दूंगी  गोदी में उठाकर तुझे घूमूगी गलि गलि  गांव गांव फिरूगी चार दिन बाद ही छोड़ दिया दूध पिलाना धोका करें मां नीम का स्वाद लगा दुध पिलाने लगी मां हाय दुनिया में कैसे रिवाज दुध ना पिलाये  शिशू की मां फीर भी मां प्यारी लगे डोले गोद लिये चार दिन में ही जमीन पर छोड़ दें मां जिद करूं गोदी ना ले  मेरी अपनी मां जन्मा शिशू समझ जाता गलत जगह आ पहुंचा हूं रोता रहा  नवजात शिशुज आते ही यूं रोता नवजात शिशु हाय हाय अलका जैन इंदौर

स्वामी विवेकानंद जी

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*विवेकानंद जी*  जिनके विवेक से आनंद मिला ऐसे नरेंद्र विवेकानंद हुए  तारीफ में इनकी क्या बोलूं कितनी कथाएं कितने छंद हुए ऐसे नरेंद्र विवेकानंद हुए इस धरती पर जब इनका जन्म हुआ  समझो भारत तभी धन्य हुआ  इनके दिए ज्ञान केप्रसार से  कई कुप्रथाएं तब बंद हुए । ऐसे नरेंद्र विवेकानंद हुए। वकील विश्वनाथ दत्त इनके पिता थे  भुवनेश्वरी देवी इन की माता थी  धर्म और ज्ञान संबद्ध हुए  ऐसे नरेंद्र विवेकानंद हुए  बचपन से ही वे निराले थे  थोड़े चंचल मतवाले थे प्रतिभाशाली भगवंत हुए  ऐसे नरेंद्र विवेकानंद हुए  नई बातों को जानने की अद्भुत लगन  सुमधुर स्वर ,ओजस्वी भाषण  घर बाहर सबको पसंद हुए  ऐसे नरेंद्र विवेकानंद हुए  ज्ञान की तलाश दौड़े मुनियों के पास  प्रभु मिलन की आस दर्शन का विश्वास  गुरु रामकृष्ण परमहंस हुए  ऐसे नरेंद्र विवेकानंद हुए  शिकागो में था सर्वधर्म सम्मेलन दुनिया के ज्ञानियों बीच उनका भाषण  सुन देख देश-विदेश दंग हुए  ऐसे नरेंद्र विवेकानंद हुए   रेनू बाला धार