मैं हूँ तुम्हारी माता वसुंधरा
मैं हूँ तुम्हारी माता वसुंधरा
ना कभी मैं रूठती हूँ
ना ही कभी आवाज उठाती हूँ
सुनो मेरे बच्चों , खुद के
खातिर मुझे ना सताओ
मैं हूँ तुम्हारी माता वसुंधरा
मेरी रक्षा तुम करो
सतना छोड़ो अब
बहुत पछताओगे
मेरे साथ तुम ही नष्ट हो जाओगे
रक्षा करो मेरी, तुम ही
सुखी जीवन पाओगे...
बहुत सहन की है
मैंने यातना अब ना सताओ
जो कुछ भी है मेरा
बाकी सौदर्य वह रहने दो
नही तो मेरे साथ तुम ही
मिट जाओगे...
तुम हो मेरे लाड़ले बच्चे
मैं तो तुम्हारी माता हूँ
सँभाल कर रखलो यह गोद
नही तो बहुत पछताओगे
कवि मारोती गंगासागरे
नांदेड़ महाराष्ट्र से
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